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क्यों आपकी चाहत पर एतबार है?

क्यों आपकी चाहत पर एतबार है?

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क्यों मुझे आपकी चाहत पे एतबार है? 

जबकि आपको किसी और का इंतज़ार है।

अपनी बेपरवाही पर 

आपकी हरपल परवाह है।

दुनिया से अलग है, 

अपनी बेपनाह मोहब्बत।

तुझे यकीन नहीं, 

एक रब ही मेरा गवाह है।

अगर आप जो कह दो, 

जमीं से आसमां को लूँ।

छोड़कर अपना रंग ये रूप, 

तुम-सा बन, तुझमें ही ढ़ल जाऊं।

क्यों मुझे आपकी चाहत पे एतबार है? 

जबकि आपको किसी और का इंतज़ार है।


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