आफ़ताब
आफ़ताब
कई रोज़ बद फलक-इ-मेहताब आया है,
आज शहर में उसके... एक बेताब आया है।
और कैसे न दूर होगा अंधेरा उसकी गली का,
जा के कह दो उससे के आफ़ताब आया है।
कई रोज़ बद फलक-इ-मेहताब आया है,
आज शहर में उसके... एक बेताब आया है।
और कैसे न दूर होगा अंधेरा उसकी गली का,
जा के कह दो उससे के आफ़ताब आया है।