ख़ुमारी
ख़ुमारी
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के बरसा कुछ रहमत सा वो मुझ पर
जो भीगा उस रोज़ ख़ुमारी आज भी है।
के बरसा कुछ रहमत सा वो मुझ पर
जो भीगा उस रोज़ ख़ुमारी आज भी है।