आएंगी फिर बहारें
आएंगी फिर बहारें
आज पतझड़ है इस जीवन में तो क्या हुआ,
हौसला रखो इंतजार करो सावन भी आएगा,
बदल जाएगा तुम्हारा यह बुरा वक्त धैर्य रखो,
फिर से ये आंगन तुम्हारा हरा भरा हो जाएगा।
शाख से गिरे जो घोंसले टूट कर बिखर गए,
बरसों से बसे थे पंछी शाख पर,जुदा हो गए,
आएंगी फिर बाहरें तो पंछी भी लौट आएंगे,
बिखरे हुए घोंसले फिर से आबाद हो जाएंगे।
नई शाखाओं, नए पत्तों से नवजीवन मिलेगा,
खुशियों का वृक्ष देखना फिर से खिल उठेगा,
बस वक्त की आंधी में खुद को बहने ना देना,
तो खोया वज़ूद तुम्हारा फिर से लौट आएगा।
जो गिरने पर संभलने का हौसला रखता है,
वही अपनी हार को जीत में बदल सकता है,
जीवन है तो लाजमी है तूफानों का भी आना,
जो हिम्मत करे वही तूफानों से लड़ सकता है।