आदत है
आदत है
एक सुनहरी सुबह,
या साँझ की चादर है,
किसी को सुबह तो,
किसी को रात की आदत है ।
एक गिलास पानी भरा,
आधा खाली या आधा भरा,
किसी को आधे खाली,
किसी को आधे भरे की आदत है ।
एक सड़क सामने,
क्षितिज तक जो जाती है,
किसी को राह ख़तम तो,
किसी को मंजिल की आदत है ।
पहाड़ के एक छोर पर,
देखो कड़ी है एक नदी,
कोई कहे नदी ख़तम तो, किसी को झरना शुरू करने की आदत है ।
खाना लेकर चढ़ती चींटी,
कितनी बार फिसलती है,
किसी को हर बार गिरती नज़र आती,
किसी को उठकर चढाने की आदत है ।
देखते हैं सभी,
एक सी चीज़ें दिन भर
नज़र वही सबकी मुझे,
नयी नज़र की आदत है ।।