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Amitosh Upadhyay "amit"

Tragedy

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Amitosh Upadhyay "amit"

Tragedy

आ जाओ ना एक बार

आ जाओ ना एक बार

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पलकें बंद करते ही तुम्हारा चेहरा सामने होता है

क्यों तुम्हे याद कर दिल अंदर ही अंदर रोता है

क्यों सताती है मुझे यादें तुम्हारी बार बार

क्योंकि तुम्हीं तो हो मेरा पहला प्यार .....

पर मैं अभागा, दे ना सका तुम्हारा साथ ....

और मजबूरी में ही सही 

तुमने थाम लिया किसी और का हाथ ....

मैं जानता था, 

बहुत मजबूर हो गई थी तुम ....

ना चाहते हुए भी,

किसी और की हो गई थी तुम ....

पर मैं चाह कर भी कुछ कर ना सका,

तकदीर के लिखे को बदल ना सका ....

मुझे याद है, उस रात मैं खूब रोया था,

तुम्हारे लिए सजी थी फूलों की सेज़ 

पर मैंने तो ख़ुद के लिए काँटों को बोया था.... 

शायद मेरी तकदीर ही मुझसे रूठ गई थी,

ज़िंदा तो था मैं, 

पर मेरी ज़िंदगी मुझसे छूट गई थी.... 

रह-रह कर याद आते थे तुमसे किये वादे,

अब तो बस रह गई थीं केवल तुम्हारी यादें....

उन्ही यादों के सहारे अब ज़िन्दगी कट रही थी, 

मेरी दुनिया अब दोबारा मुझमें ही सिमट रही थी....

चारों ओर हताशा के घने बादल छाए हुए थे,

हम दोनों ही तो सच में हालात के सताए हुए थे....

मुझे पता था बहुत दर्द सहा था तुमने,

और खूब रोइ थी मुझसे बिछड़कर,

लम्हा-लम्हा बीता था तुम्हारा भी तड़पकर .... 

तुम्हारे घर बारिश हुई थी आंसुओं की.....

लेकिन मैं तो बहा भी नहीं सकता था आंसुओं को,

मर्द जो ठहरा.... 

डरता था लोग क्या कहेंगे....

पर मेरा जीवन तो सूना था....

तुम्हारे बिना ........

और होता भी कैसा ?

हो सके तो एक बार, बस एक बार

लौट कर आ जाना

और अपने हिस्से का दर्द देकर

मेरे हिस्से की सारी खुशियां ले जाना …..

और हाँ,

मेरे हिस्से का प्यार मुझे दो, या ना दो

मेरे हिस्से के आंसुओं को ज़रूर दे जाना,

रो लूंगा तुम्हारे दामन से लिपट कर

कर लूंगा दूर सारे गिले शिकवे,

बहा दूंगा सब कुछ इन आंसुओं के साथ

और हो सके तो कर लेना आख़री बार

यह इकरार

कि मैं ही हूँ तुम्हारा पहला प्यार 

आ जाओ ना लौट कर

बस एक बार

क्योंकि तुम ही तो हो मेरा पहला प्यार …....


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