चाहत
चाहत


थक गया हूँ खुद से लड़कर सोना मैं चाहता हूँ
तेरे हसीन ख़्वाबों में खोना मैं चाहता हूँ
यादें मेरे माज़ी की पीछा ना छोड़े मेरा,
उन्हें वक्त के धागों में पिरोना मैं चाहता हूँ
लम्हे जो गुज़ारे थे हाँ साथ-साथ हमने
उन्हें याद करके पलकें भिगोना मैं चाहता हूँ
पूरी जगह जो ना दे फिर भी नहीं कोई ग़म,
दिल में तेरे तो बस एक कोना मैं चाहता हूँ
मुमकिन नहीं है अब ये फिर भी यही है चाहत,
एक बार फिर से तेरा होना मैं चाहता हूँ।।