अपने आसपास के लोगों के अव्यवहारिक, छल-कपट से भरे व्यवहार को देखते हुए उसका मन इस मायावी संसार से उचाट हो गया। सकूँ की तलाश में निकलने के लिए उसने जरूरत-भर के सामान की एक छोटी-सी पोटली लाठी पर टांगी और दूर-बहुत दूर जाने को तैयार हो गया था।
लेकिन तभी लोभ, मोह, डर और अहँकार रूपी हाथों के आगे मुक्ति पाने की चाह लिए उसका मन डोल गया।