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Nalini Mishra dwivedi

Inspirational

4.5  

Nalini Mishra dwivedi

Inspirational

बिन ब्याही माँ

बिन ब्याही माँ

5 mins
974


मेरे ख़्वाबों में हमेशा एक लड़की आती थी, पीला सूट पहने, लंबी, छहररा बदन, लेकिन कभी उसका चेहरा नहीं देख पाया, कमबख़्त नींद ही खुल जाती थी।

पेशे से मै बच्चों का डॉक्टर था, अपना खुद का क्लीनिक था। आज मेरे क्लीनिक वो आई थी, पीला फ्रॉक सूट पहने, हाथों में चूड़ी, आँखों में काजल, कानों में बड़े झुमके पहने थे। बहुत ही सुन्दर लग रही थी। बिल्कुल मेरे ख़्वाबों की रानी लग रही थी। उसके गोद में लगभग एक साल की बच्ची को देखकर मेरी तन्द्रा टूटती है।

डॉक्टर, मेरी बेटी को एक हफ्ते से फीवर है। मैंने उसकी बच्ची का नाम पूछा तो उसने रूही बताया। फिर मैंने चेक किया, कुछ दवाएं लिखी और कुछ टेस्ट कराकर रिपोर्ट पांच दिन में दिखाने को कहा। वो मुझे धन्यवाद कहकर चली गई। उसके जाने के बाद बार-बार उसी का ख्याल मन में आ रहा था पर खुद को समझाया अरे वो तो एक बच्ची की माँ है।

आज रात फिर वही ख्वाब आया, फिर वही लड़की दिखी पर आज मैंने चेहरा देखा, अरे ! ये तो आज जो आई थी। वही क्लीनिक वाली लड़की है। मेरी नींद टूट जाती है। करीब दो बज रहे थे, हे भगवान मेरे ख्वाब में वो लड़की क्यों दिख रही है। वो तो एक बच्ची की माँ है।

मैं उसके बारे में कैसे सोच सकता हूँ, उसकी तो एक साल की बेटी है तो पति भी होगा लेकिन मैने देखा था, न सिंदूर था मांग में, न ही मंगलसुत्र पहना था। मैं क्यों सोच रहा हूँ उसके बारे में, फिर से मैं चादर तान के सो जाता हूँ।

शाम के सात बज रहे थे, मौसम बहुत खराब था। लग रहा था बारिश होगी, मैं क्लीनिक बन्द करने वाला था। अचानक वो आई, रूही की रिपोर्ट दिखाने, सच बताऊँ तो मैंने उसे देखा तो रिपोर्ट ही देखना भूल गया। गोरा रंग, सुर्ख गुलाबी सूट, माथे पर बिंदी, बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। फिर से उसने मुझसे कहा "जरा रिपोर्ट देख लीजिए, मुझे घर जाना है, मौसम भी खराब हो रहा है।"

मैंने रिपोर्ट देखी तो सब नॉर्मल था। मैंने कहा रिपोर्ट ठीक है बस दो दिन बाद, दवा बंद कर देना। तेज बारिश शुरू हो गई थी। मैं क्लीनिक बन्द कर बाहर निकला तो वो बाहर खड़ी थी। आप गई नहीं अभी ? 

ऑटो नही मिल रहा।

बारिश इतनी तेज है और रात भी हो गई है ऑटो जल्दी मिलेगा नहीं, चलिए मै छोड़ देता हूँ। थोड़ा संकुचाई, फिर आकर कार में बैठ गई।

थोड़ी देर हम दोनो चुप रहे, सोचा यही मौका है उसके बारे में जानने का, फिर मैंने ही बात करना शुरू की।

आपका नाम ? 

मुग्धा।

नाइस नेम। मेरा नाम...।

आपका नाम प्रफुल्ल है पर्चे पर देखा था। बताने की जरूरत नहीं।

मुझे खुद पर हँसी आ रही थी। सोचा अब शादी के बारे में पूछ लूँ।

"आपको देख के लगता नहीं कि आप की शादी हुई है और एक बच्ची भी है।"

वो मुस्कराई और बोली मेरी शादी नहीं हुई है। तो मैने भी तपाक से पूछ लिया, तो बच्ची ? वो कुछ बताती उससे पहले उसका घर आ गया। वो धन्यवाद बोलकर चली गई । 

अब मेरा मन पहले से ज्यादा उसके बारे में सोचने लगा, क्या वो बिन ब्याही माँ है। अब बार-बार खुद को कोस रहा था। इतना अच्छा मौका था उसके बारे में जानने का वो भी हाथ से चला गया। अब यही सोच रहा था कि आखिर बच्ची किसकी थी। धीरे-धीरे एक हफ्ता बीत जाता है। 

एक दिन मैं शाम को उसकी ऑफिस की तरफ से जा रहा था वो ऑटो का वेट कर रही थी, मैंने कार रोक दी और बोल दिया चलिए मैं आप को छोड़ देता हूँ। 

मैने कॉफी पीने का आग्रह किया। साथ में हम दोनो कॉफी शॉप गए। अब बात कैसे शुरू करूँ तो पहले मैंने रूही के बारे में पूछा - "रूही कैसी है?"

अब ठीक है।

रूही आपकी बेटी है ? कुछ देर शान्त थी। मुझे डर लग रहा था कहीं गलत सवाल तो नहीं पूछ लिया। फिर उसने बताना शुरु किया।

"करीब एक साल पहले मेरी बड़ी बहन मानवी दीदी की डिलिवरी थी। उस दिन वो जुड़वा बच्चों को जन्म देने वाली थी। डॉक्टर ने बहुत कोशिश की लेकिन सिर्फ रूही को बचा सके। दीदी और एक बच्चे को नहीं बचा सके वो एक बच्चा लड़का था। दीदी के ससुराल वाले रूही को अपनाने को तैयार नहीं हुए। कहने लगे कि अपशगुनी है पैदा होते ही माँ और भाई को खा गई। मैं और मेरी माँ ने रूही की जिम्मेदारी ली। माँ चाह रही है कि रूही की जिम्मेदारी उनपर छोड़ मैं शादी कर लूँ, पर मैं चाह रही थी रूही को अपना नाम दूँ| माँ की उमर हो गई है, मैं रूही की जिम्मेदारी उन पर नहीं छोड़ सकती। मैंने फैसला किया कि मैं शादी उसी लड़के से करूंगी जो मेरी रूही को अपनाएगा, वरना बिन ब्याह के ही मैं उसकी माँ बनकर रहूंगी पर अभी तक माँ ने बहुत रिश्ते देखे पर बात रूही पर आकर रूक जाती थी।"

अभी तक तो मुझे उसे देखकर प्रेम हुआ था। आज उसकेे विचारों से मेरा प्रेम दोगुना हो गया। मैं उसे घर तक छोड़, खुद घर आ गया। आज मैं बहुत खुश था, मैंने सोच लिया था कि मैं उसे बिन ब्याही माँ बनकर नही रहने दूंगा, मेरी खुुशी मेरी माँ से छुुपी नहीं। 

बेटा आज तू बहुत खुश लग रहा है ? मैंने माँ को पूरी बात बताई और कहा मैं मुग्धा से शादी करना चाहता हूँ । माँ मेरी समझदार और खुले विचारों वाली थी। उन्होंने कहा,

अगर तू मुग्धा से शादी कर रूही को पिता का नाम देना चाहता है तो मुझे कोई एतराज नहीं। मुझे अपने बेटे पर पूरा विश्वास है कि वो एक अच्छा पिता साबित होगा।

मैं और माँ एक दिन मुग्धा के घर जाते हैं। शाम का समय था, मुग्धा अभी ऑफिस से आई नहीं थी।

माँ ने मुग्धा की माँ से कहा- मेरा बेटा आपकी बेटी को पसन्द करता है और शादी करना चाहता है अगर आपको ये रिश्ता मंजूर हो तो बात आगे बढ़ाई जाये पर रूही ? 

मुग्धा की माँ के गोद से रूही को लेकर कहा आप रूही की चिंता मत करिये, आज से ये मेरी पोती है।

मुग्धा के लिए माँ खुश थी कि इतना अच्छा रिश्ता खुद चलकर आया है। एक बार मुग्धा घर आ जाए और वो हाँ कह दे तो बात पक्की है।

तब तक मुग्धा भी घर आ गई, प्रफुल्ल को ऐसे घर देखकर वो हैरान थी। माँ देखो आपकी बहू आ गई।

ब्याह करोगी मेरे बेटे से ? आते ही माँ ने सवाल किया। कुछ सोच में पड़ गई। 

देखो बेटा, अगर तुम रूही को लेकर सोच रही हो तो मत परेशान हो। आज से रूही की जिम्मेदारी हमारी है, ये पहली शादी होगी जहा बहू के साथ पोती भी घर आयेगी। उसने माँ के पैर छुए तो माँ ने उसे गले लगा लिया। अब जल्दी से हमारे घर बहू बनकर आ जाओ।  


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