मेरा पहला प्यार
मेरा पहला प्यार
मेरा पहला प्यार बचपन के एक साथी के साथ था उसके साथ मैं पढ़ता था हम दोनों पास पास रहते थे। पढ़ने साथ जाते थे स्कूल में भी एक ही कक्षा में पढ़ते थे जब तक हमें यह भी नहीं पता था कि प्यार क्या होता है तब से हम एक दूसरे के दोस्त थे एक दूसरे की सहायता करते थे। बड़े होने पर हम दोनों कब एक दूसरे को प्यार करने लगे यह पता ही नहीं चला। हम साथ पढ़ते रहे समय भी बीतता रहा कक्षा 12 तक हम एक साथ पढ़े फिर मैं उच्च शिक्षा के लिए शहर चला गया। मेरे साथी ने उच्च शिक्षा के लिए प्राइवेट शिक्षा से करने का निर्णय लिया दोनों अलग अलग हो गए दोनों की मुलाकात सप्ताह भर में होने लगी उसके बाद जब मैंने उच्च शिक्षा प्राप्त कर ली तो मेरी नौकरी लग गई, लेकिन मेरे साथी की नौकरी नहीं लगी जिसके कारण हम दोनों अलग अलग हो गए। फिर मुलाकात कभी कबार होने लगी लेकिन प्यार तो चलता रहा, लेकिन प्यार दिखावे के लिए नहीं था। केवल मैं व मेरा दोस्त ही यह जानते थे अचानक मुझे एक दिन पता चला कि मेरे दोस्त की शादी तय हो गई उसके घर वालों ने उसकी शादी तय कर दी, हम दोनों को बड़ा झटका लगा लेकिन हम दोनों ने घरवालों की इच्छा को स्वीकार किया। मैंने अपने दोस्त की इच्छा को भी स्वीकार किया फिर दोनों अपने अपने रास्ते तय करते गए उसके कुछ सालों बाद मेरी भी शादी तय हो गई शादी के बाद हम दोनों अलग-अलग अपने परिवारों को संभालते रहे, लेकिन प्यार हमेशा रहा। अब कभी भी जब हम याद करते हैं तो लगता है कि वह बीते दिनों की बात है लेकिन प्यार तो प्यार होता है और पहला प्यार बहुत ही अच्छा होता है। यादों में होता है और सच्चा होता है इस कहानी से यह पता चलता है भले ही हम प्यार के मुकाम तक न पहुंचा पाए लेकिन सच्चा प्यार वास्तव में कुछ ही लोगों को मिलता है।