खूंखार गब्बर सिंह
खूंखार गब्बर सिंह
“दया दरवाजा तोड़......"
"एसीपी सर गब्बर तो यहाँ पहाड़ियों में पत्थरों के बीच रहता है दरवाजा कौन सा तोड़ना है?" दया ने सवाल किया।
"अच्छा दरवाजा नहीं है तो कुछ भी तोड़ो तुम्हारा काम है तोड़ना......"
ए सी पी की बात सुनकर अभिजीत और दया हँस पड़े।
"लेकिन कुछ तो गड़बड़ है इतना सन्नाटा क्यों है? पहाड़ी के ऊपर जो गब्बर का दोस्त बैठा रहता है जिससे गब्बर पूछता है होली कब है? वह भी आज नहीं बैठा है सब के सब गए कहां?" एसीपी ने कहा।
"हां सर वह भी नहीं दिख रहा लगता है यह सब लोग हम से डर के यहां से कही भाग गए हैं....." अभिजीत ने कहा।
"सब गए होंगे हमें चकमा देने के लिए तो भी गब्बर यहीं होगा, अकेले गब्बर को पकड़ना थोड़ा आसान होगा........" डॉ सलूखे बोले।
"अकेले पकड़ना आसान होगा मतलब हम क्या उनसे डरते हैं?" एसीपी ने शालूखे को फटकार लगाई।
"शालूखे सर एक बात यह भी समझ में नहीं आई कि आखिर आप हम सब के साथ क्यों आए हैं?" अभिजीत ने थोड़ा मजा भी लिया।
"मुझे लगा गब्बर शेर को पकड़ने आए हैं तो मैं उसको बेहोशी का इंजेक्शन दे दूंगा ताकि तुम लोग आसानी से पकड़ सको मुझे क्या पता था इस गब्बर को पकड़ने आए हैं?"
"अभी आप जिद करके हमारे साथ चले आए हैं......" बोलकर सब हँस पड़े l
"सर अभी हमारे खबरी ने आकर बताया है कि गब्बर अपनी पूरी फौज के साथ ठाकुर की हवेली की तरफ गया है हमें भी उधर जाना चाहिए वहां उसको आसानी से पकड़ सकते हैं....."
"ठीक है दया उधर चलते हैं......दुआ करो गब्बर को पकड़ने का हमारा बिछाया जाल काम कर जाये....." ए सी पी प्रधुमन चिंतित स्वर में बोला l
सब लोग थोड़ा चिंतित थे, उन्होंने अपने हथियार चेक किये और अपने घोड़ों पर सवार होकर ठाकुर की हवेली के तरफ चल दिए l
ठाकुर की हवेली का दरवाजा खुला मिला और गब्बर और उसका गिरोह एक पिंजरे में बेहोश पड़े मिले l
“ए सी पी साब आपका प्लान कामयाब रहा, मैंने आपके कहने से पूरे गाँव को दारू और मुर्गे की दावत दी थी, दावत का सामान अभी मेजो पर रखा ही जा रहा था कि गब्बर सिंह और उसके गिरोह ने हमला कर मुझे और हरिया को बांध दिया और आप लोगों के बारे में पूछने लगा मैंने बताया आते ही होंगे l गब्बर सिंह और उसके गिरोह ने आप सब को मारने के लिए पूरे गाँव को बंदी बनाकर पोजीसन ले ली लेकिन दारू और मुर्गा ने उनकी नीयत खराब कर दी l उन्होंने आव देखा न ताव बस दारू मुर्गा पर टूट पड़े l उन सब ने पेट भर मुर्गा खाया और खूब दारू पी l लेकिन उन्हें पता न था दारू और मुर्गे में तेज नींद आने की दवा पड़ी है जो आप लोगों ने दी थी l दारू और मुर्गे को खाते ही इनकी आँखें भारी होने लगी और ये सब हमारी चाल समझ कर मुझसे गाली गुप्ता करने लगे लेकिन दवा के आगे इनकी एक न चली और ये बेहोश होकर गिरते गए और गाँव वालों की मदद से हमने इन्हें आपके लाए जानवरों के पिंजरों में बंद कर दिया l” ठाकुर मुस्कराते हुए बोला l
“सही किया ठाकुर, हमारा प्लान गब्बर सिंह को बिना खून खराबा किये पकड़ना था......हमारा प्लान कामयाब बनाने के लिए धन्यवाद l” ए सी पी प्रधुमन पिंजरे में सोते गब्बर सिंह और उसके गिरोह की तरफ देखते हुए बोला l