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पश्चाताप की ज्वाला

पश्चाताप की ज्वाला

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"‎मेरी बेटी तू कहाँ चली गयी थी !"

रीया भी माँ को देख रोने लगी दोनो माँ बेटी का मिलन हो रहा था उधर जीया उसके बच्चे को ले सारे घर में घुम रही थी पति भी खुश थे आखिरकार इतने दिनों के बाद घर में खुशी आयी वह रीया को अपनी साली कम बेटी अधिक मानते थे |

‎सबको खुश देख पिताजी ने चैन की सांस ली |

‎रीया के तबियत मायके आकर ठीक हो गयी यहाँ अच्छे से देखभाल जो हो रही थी बडे अमीर बाप के घर में अभाव न था | वह खोयी खोयी रहती शायद उसे दीपक की याद सताती थी उस समय मोबाईल फोन प्रचलन में नही थे , लैन्डलाईन फोन ही थे |

कभी कभी दीपक से फोन पर बातें होती और उसके करीबी रिश्तेदार उस शहर में मौजूद थे जो दीपक के कहने पर वहाँ आने लगे घन्टों रीया से बातें करते माँ घर के कामों में , दीदी बच्चों में व्यस्त रहती अकेली रीया उनसे घुलने मिलने लगी |

‎धीरे -धीरे रीया ने अपनी जगह पिताजी की नजरों में बनानी शुरू की वह उनका पूरा ख्याल रखने लगी शायद उसके ऐसा करने से पिता का रूख उसकी ओर नरम हो उनकी नाराजगी दूर इसका वह जी जान से प्रयत्न करती उसकी कोशिशें रंग लाने लगी बुढा बाप, बेटी व नन्हे नाती के मोह में फंसता गया लेकिन नन्नू के प्रति उनके अनुराग में कमी न आयी वही उनका पहला नाती था | दो बेटि़यों के बाद जो पुत्र समान नाती उन्हे मिला था उसने पुत्र न होने के अभाव को खत्म किया था इसीलिए वह जहाँ भी जाते नन्नू सदैव उनके साथ होता था | रीया की कोशिशे होती नन्नू को उनसे दूर करने व अपने मुन्ना को उनके करीब करने की |

‎इन बातों से बेखबर जीया छोटी बहन को खुश जान , प्रसन्न रहती माँ तो अपना दुख भुल गयी और बहुत खुश रहती उन्हे एक नाती और मिल गया था इन सबमें लाडली बहन थी रिन्कू |

दोनो बच्चे अपने बीच एक नन्हे बच्चे को देख बहुत खुश रहने लगे , नन्नू व रिन्कू दौड दौड कर मुन्ना के लिए चीजे लाते अपने खिलौने कपडे व दूसरा जरूरी समान सब अलमारी ले बाहर निकाल ले आये | रिन्कू जिद करती , " मुन्ना मेरे कपडे पहनेगा तो नन्नू कहता वो लडकी नही है लडका है बेवकूफ ! उदास रिन्कू मौसी से कहती कि वह लडकी क्यों नही लायी ", मौसी हँसती बच्चों की बातें सुन तब नानी बोली , "अगली बार रीया उसके लिए बहन लायेगी" ...नानी की बात रिन्कू ने मान और माँ को बताने लगी , "माँ जब मौसी मेरे लिए बहन लायेगी तो मै अपने फ्रॉक उसको दे दूंगी |"

बच्चों के प्रेम को देख नाना-नानी व दीदी-जीजाजी हंसने लगे पर रीया अपने में खोयी रही दीदी ने उसकी उदासी को भांप लिया और दीपक को फोन किया कि वह भी यही आ जाये | दीपक को तो मानों मनचाहा वरदान मिल गया अगले ही दिन वह वहाँ आ धमका उसको आया देख पिताजी नाराज हुए लेकिन दीदी ने उन्हे समझा दिया कि माँ -बेटे उसे मिस करते है कुछ समय बाद तो वह रीया को अपने साथ ले ही जायेगा |

रीया बहुत खुश रहने लगी अब उसी घर में सब लोग थे माँ -पिता , दीदी-जीजा | घर में कोई कमी तो थी नही , बडा दमाद बहुत काबिल व अच्छी नौकरी में था विदेश से बुलावा आया काम के सिलसिलें तो वह मना नही कर पाये , इधर छोटा दामाद पंहुचा उधर बडा दामाद विदेश जाने की तैयारियों में जुट गया, दीदी उदास दिख रही थी तो पति ने समझाया अब तो तुम्हारी बहन भी वापस यही आ गयी है कुछ समय की बात है | उन्हे बाहर जाना ही होगा |


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