फुटपाथ या कार
फुटपाथ या कार
दो दोस्त रात को एक फुटपाथ पर बैठकर बात कर रहे है। हाँ वही बातें जो अक्सर नौजवान करते हैं, सपने, आशाएं, आकांक्षाएं। दोनों ही मध्यमवर्गीय परिवार से है तो सपनों में लड़कियों की जगह भी पैसे ही आते है। बस यही एक ख्वाहिश है कि कुछ बड़ा कर सके कि बहुत सारे पैसे कमा सकें और अपने मम्मी पापा को खुश रख सके ।
उनकी एक सी शिकायतें भी थी। मम्मी पापा बहुत ज्यादा दबाव डालते हैं। यह नहीं करने देते, वह नहीं करने देते। सामने एक बहुत बड़ी सी गाड़ी खड़ी है। क्योंकि यह सड़क समुद्र तट से लगी हुई है इसलिए यहां बहुत सारी गाड़ियां खड़ी है। लोग समुद्र तट पर टहलने के लिए आ जा रहे है। समुद्र का तो रोज का ही देखना है यह दोनों किशोर बैठकर गाड़ियों को देख रहे है और अपने सपनों में सोच रहे है कि कल को जब कुछ बन जाएंगे तब कौन सी गाड़ी खरीदेंगे।
यूँ ही बातें करते करते एक बोला, "जिस दिन मेरे पास गाड़ी, बंगला सब कुछ हो जाएगा, उस दिन मैं संसार का सबसे सुखी इंसान बन जाऊंगा"।
दूसरा बोला, "पता नहीं पैसा इंसान को सुखी बना पाता है या नहीं । पर पैसे से दुख जरूर कम हो जाते हैं। मुझे बंगला गाड़ी यह सब तो नहीं चाहिए, ऐसा नहीं कहूंगा । पैसा तो मुझे भी कमाना है। सोचो आज हम यहां फुटपाथ पर बैठ कर रो रहे है । उससे अच्छा तो हम किसी बड़ी गाड़ी में बैठे होते तो रोना खराब नही लगता। तुम्हें क्या लगता है ? क्या अच्छा है फुटपाथ पर बैठकर रोना या किसी बड़ी गाड़ी में बैठ कर रोना ?
दोनों नादान ही थे। अपनी अपनी राय दे रहे थे। उन्हीं से कुछ दूर पर एक शख्स काफी देर से वह वही टहल रहा था और अनजाने में उनकी बातें भी सुन रहा था। अच्छा लगता है जो उम्र हम पार कर आए हैं उसी उम्र को फिर से जीना भले ही किसी और के द्वारा हो। उससे चुप नहीं रहा गया। वह आकर उन दोनों के बगल में बैठ गया। वह दोनों थोड़ा अचकचा गए। वह उन्हें देख कर मुस्कुराते हुए बोला, "कभी मैं भी तुम्हारी उम्र का था । मेरे भी दोस्त थे, हैं। पक्के वाले, आज भी है । शायद पक्के वाले भी , पर अब उनके पास भी समय नहीं है। मेरे पास भी समय नहीं है। हमारे पास सिर्फ पैसा है । मालूम है आज तुम्हारे पास पैसा नहीं है। पर तुम सबसे ज्यादा अमीर हो कि तुम्हारे पास समय है तुम इस समय का उपयोग करो। हां पैसा कमाने में भी, पर खुशियां बांटने में, यादें बनाने में। क्योंकि कल को जब तुम्हारे पास पैसा होगा, तब तुम्हारे पास समय नहीं होगा, खुशियां मनाने के लिए, दोस्तों के साथ खुशियां साझा करने के लिए ।
और हाँ अभी जो तुम कह रहे थे ना कि फुटपाथ पर बैठकर रोने से इस बड़ी गाड़ी में बैठ कर रोना ज्यादा अच्छा है। तो सुनो नहीं ! जो फुटपाथ पर बैठकर रो रहे होते हैं ना उनकी परेशानियां अक्सर पैसों से ठीक हो जाती है, दूर हो जाती हैं । बस सिर्फ कल्पना करके देखना। भगवान ना करे तुम्हें कभी यह बात महसूस करनी पड़े कि जो अस्सी लाख की कार के अंदर बैठ कर रो रहा है, उसकी परेशानी पैसे से ठीक नहीं होगी, मतलब लाइलाज होगी । हमेशा याद रखना जब पैसा आ जाए तो फुटपाथ पर बैठकर रोने वालों को रोने मत देना। कोशिश करना, नहीं तो महंगी कार में बैठकर रोना पड़ सकता है । मैंने यही गलती की थी, मैं आज महंगी कार में बैठ कर रो रहा हूँ। मेरी परेशानियों का कोई हल नहीं है । हर बात जिंदगी सिखाए जरूरी नहीं है। कुछ चीजें दूसरों के अनुभवों से भी सीख लेना। जाओ यह समय फुटपाथ पर बैठकर इन कारों को देख कर नष्ट मत करो या तो खुशियां मनाओ या नईं यादें संजो लो या फिर जाओ जाकर मेहनत करो
ध्यान रखना पैसा वही फ़लता है जो दूसरों के काम में आता है। अगर अपने लिए जोड़कर रखोगे तो कभी काम नहीं आता।
वहीं जितना दुसरों पर परोपकार के लिए खर्च करोगे यह बढ़ता जाएगा।
पैसों से दूसरों के लिए खुशियाँ खरीद कर
मेरी खुशियों की गागर अपने आप भर जाती है।
