सच्चाई की परछाई (कटु सत्य)
सच्चाई की परछाई (कटु सत्य)


संध्या अपनी पढ़ाई पूरी कर गर्मियों की छुट्टियां बिताने गांव आई थी। उसके दादा, रामप्रसाद, गांव के मुखिया थे। उनके व्यक्तित्व की छवि संध्या के लिए हमेशा प्रेरणादायक रही थी। गांववाले उन्हें "मुखिया जी" कहते और उनकी हर बात को पत्थर की लकीर मानते थे। परंतु रामप्रसाद के व्यक्तित्व का एक दूसरा, काला पक्ष भी था, जिसे संध्या ने कभी नहीं जाना था।
गांव में आते ही संध्या ने रोज़ सुबह अकेले घूमने की आदत बना ली। एक दिन, गांव के बाहरी इलाके में उसने कुछ लोगों को एक महिला, सुमित्रा, को गालियां देते और पत्थर मारते देखा। संध्या को यह देखकर धक्का लगा। उसने वहां खड़े एक व्यक्ति से पूछा, "ये क्या हो रहा है?"
वह बोला, "वो डायन है। मुखिया जी ने खुद बताया।"
संध्या ने हैरानी से कहा, "डायन? यह कैसा अंधविश्वास!"
संदेह की शुरुआत
जब संध्या ने अपने दादा से यह बात पूछी, तो उन्होंने कहा, "बेटा, गांव की भलाई के लिए ऐसे कड़े फैसले लेने पड़ते हैं। तुम इन मामलों में मत पड़ो।"
यह जवाब संध्या को संतोषजनक नहीं लगा। वह सुमित्रा से मिलने गई। सुमित्रा ने रोते हुए कहा, "मुखिया जी ने मेरे पति की जमीन हड़पने के लिए मुझे डायन घोषित करवा दिया। मैंने उनके गलत आदेश का विरोध किया था, और अब मेरी जिंदगी नर्क बना दी गई है।"
सच की तलाश
संध्या ने गांव के और लोगों से बात की और धीरे-धीरे कई चौंकाने वाले सच सामने आए:
1. सती प्रथा: सुमित्रा ने खुलासा किया कि रामप्रसाद ने अपने भाई की विधवा पत्नी को गांव की इज्जत के नाम पर सती होने पर मजबूर किया था।
2. प्रेमियों की सजा: एक बुजुर्ग ने बताया कि रामप्रसाद ने जातिगत परंपराओं के खिलाफ शादी करने वाले एक प्रेमी जोड़े को पंचायत में फांसी दिलवाई थी।
3. जमीन की राजनीति: कई किसानों ने खुलासा किया कि जो रामप्रसाद के आदेश का विरोध करते थे, उनकी जमीन छीन ली जाती थी।
संध्या यह सब जानकर अंदर से हिल गई। उसने सबूत जुटाने की ठान ली। अपने स्मार्टफोन के जरिए उसने ग्रामीणों के बयान और रामप्रसाद के काले कारनामों को रिकॉर्ड किया।
सत्य की राह में बाधा
एक दिन, उसकी मां ने उसकी डायरी के पन्ने फाड़ दिए और उसे धमकाते हुए कहा, "तू इस मामले में पड़ी तो अपनी जान से हाथ धो बैठेगी।"
लेकिन संध्या डरने वाली नहीं थी। उसने ठान लिया कि वह इस अन्याय को खत्म करके ही दम लेगी।
कटु सत्य का पर्दाफाश
संध्या ने अपने सबूतों को अपनी सहेली आर्या, जो एक पत्रकार थी, को सौंप दिया। आर्या ने इन सबूतों पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री बनाई। जब यह वीडियो सार्वजनिक हुआ, तो पूरे गांव और जिले में खलबली मच गई। रामप्रसाद, जिनकी छवि आदर्श नेता की थी, अब घृणा का पात्र बन गए।
बदलाव की शुरुआत
पुलिस ने रामप्रसाद को गिरफ्तार कर लिया। ग्रामीणों ने संध्या का साथ दिया और तय किया कि अब गांव में किसी अन्याय या अंधविश्वास के लिए कोई जगह नहीं होगी।
संध्या ने शिक्षा और समानता के लिए एक नई पहल शुरू की। उसने महसूस किया कि सच्चाई को उजागर करना आसान नहीं था, लेकिन यह बदलाव का पहला कदम होता है। उसने अपने साहस और दृढ़ता से गांव को अंधविश्वास और अन्याय से मुक्त कर एक आदर्श गांव बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए।