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Dr Lalit Upadhyaya

Comedy Drama

4.7  

Dr Lalit Upadhyaya

Comedy Drama

सब्र का फल

सब्र का फल

4 mins
707


धनतेरस व दीवाली का अवसर है। गोकुलधाम के निवासी जेठा लाल चंपकलाल गड़ा ने भी अपनी गड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान की बिक्री बढ़ाने व ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए दुकान पर टी वी,फ्रीज,वाशिंग मशीन आदि सामान को सजावट के साथ रखने को कहा। जेठा लाल-नट्टू काका इस बार होली से लॉक डाउन के कारण व्यापार मंदा रहा है।बाघा व आपकी पगार भी चार महीने से नहीं दे पा रहे है।इसलिए अब लॉक डाउन खुलने के बाद बड़ा त्योहार दीवाली का आया है।एल इ डी,टी वी,फ्रिज,वाशिंग मशीन की बिक्री बढ़े इसके लिए दुकान पर सामान को सजा लीजिए व ग्राहकों के लिए स्कीम बना लीजिए।नट्टू काका-जी ,सेठ जी।मैं और बाघा मिलकर कर लेंगे। नट्टू काका-बाघा झालर लगा दो,टीवी चला दो,वॉल्यूम जरा कम रखना। बाघा-जी,नट्टू काका। शाम हो गई अभी तक दो ही ग्राहक आए है,पिछले साल धनतेरस पर एक दिन में 15 टी वी,10 फ्रीज,10 वाशिंग मशीन बिक गए थे,अरे भाई इस बार तो सेठजी ने स्मार्ट फोन भी दुकान में रख लिए है, बाघा-नट्टू काका बोले। जी,काका-बाघा मायूस मन से बोला। उधर गोकुलधाम सोसाइटी के हर घर में त्योहार की तैयारियां चल रही थी।तारक मेहता व अपनी पत्नी अंजली के साथ फूलों की माला बना रहे थे। टप्पू अपनी मम्मी दया के साथ घर पर झालर लगाने में मदद कर रहा था।अय्यर भाई व उनकी पत्नी बबीता पूजा के थाल को सजा रहे थे। आत्माराम तुकाराम भिड़े व माधवी बेटी सोनू के साथ बाजार से ढेर सारी मिठाई, चॉकलेट गिफ्ट पैक लेकर आ रहे थे।हंसराज हाथी भाई को तो बस खाने की पड़ी थी।पोपटलाल अपने छाते के साथ दिन में ही मुंगेरी लाल के हसीन सपने देख रहे थे,काश आज मेरी भी बीबी होती,जो मेरे साथ दीवाली की तैयारी कर रही होती।

इस नजारे के साथ गोकुलधाम में सुबह से हलचल थी। घर से दुकान की ओर जाते हुए जेठा लाल के फोन की घंटी बजी।जेठा लाल-हेलो,आप कौन।दूसरी तरफ से आवाज आई,क्या आप गड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स से बोल रहे है। जेठा लाल-जी हां। दूसरी तरफ से आवाज-मैं गजाधर लाल पब्लिक स्कूल का प्रिंसिपल बोल रहा हूँ,क्या आपकी दुकान पर स्मार्ट फ़ोन मिलते है। जेठा लाल-जी,इसी साल लॉक डाउन खुलने पर ही स्मार्ट फोन की बिक्री शुरू की है।प्रिंसिपल-क्या आपके पास 5000/₹की रेंज में मोबाइल फोन उपलब्ध है।जेठा लाल-जी।प्रिंसिपल-कितने फोन मिल जायेंगे। जेठा-आप बताएं आपको 1,2,5,10 चाहिए मिल जाएंगे।प्रिंसिपल-जेठा जी,हमें 1 या 2 या 10 नहीं पूरे 200 चाहिए।जेठा हकलाते हुए आश्चर्य से बोले-क्या आप सही बोल रहे है,कोई मैं सपने में तो बात नहीं कर रहा।

प्रिंसिपल-नहीं,मैं सही बोल रहा हूँ,कल हमारे स्कूल में क्लास 9 से 12 के उन विद्यार्थियों के पेरेंट्स को मीटिंग में कोविड 19 की गाइड लाइन का पालन करते हुए बुलाया है,जिन ऑनलाइन क्लास के लिए मोबाइल फोन नहीं है। उन सभी को स्कूल की ओर से मोबाइल सामाजिक सरोकार के तहत दिए जाने की योजना है ताकि छात्र घर बैठे ऑनलाइन क्लास कर सकें जब तक कि स्कूल पूरी तरह नहीं खुल जाते।जेठा बिक्री की खुशी में उछल कर बोले--जी,क्या नेक विचार है,जरूरतमंद छात्रों की मदद कर आप छात्रहित का कितना ध्यान रख रहे है।हम भी इस काम में सहयोग करेंगे,₹5000का मोबाइल पर बच्चों की खातिर प्रॉफिट में से ?₹50 की छूट दे देंगे। प्रिंसिपल-जी आज शाम को क्लर्क को भेजता हूँ, उनको मोबाइल व उसका जीएसटी का बिल दे दीजियेगा,पेमेंट आपके एकाउंट में ऑनलाइन पहुंच जाएगा।जेठा-जी हां आज कल ऑनलाइन पेमेंट से बड़ी सुविधा हो गई है।यह ऑर्डर जेठा ने नट्टू काका को बताया तो वो भी दांतों तले उंगली दबाने लगे।बोले-सेठजी अभी मैं और बाघा ऑर्डर के मोबाइल को गिफ्ट पैक कर तैयार करते हैं।नट्टू काका-बाघा ,ईश्वर ने हमारी सुन ली,सेठजी को मोबाइल का बड़ा आर्डर मिल गया है।बाघा-खुशी के आंसू पौंछते हुए बोला-नट्टू काका चार महीने से पगार भी नही मिली,कैसे मुश्किल से दिन काटे है,अब तो पगार भी मिलेगी और दीवाली बोनस भी।

नट्टू व बाघा ने तीन घण्टों में ऑर्डर पैक कर क्लर्क ब को बिल सहित दे दिया।जेठा लाल के एकाउंट का मैसेज आया- स्कूल खाते से रुपये ट्रांसफर हो गए।जेठा-नट्टू काका,बाघा आपकी ईश्वर से सच्चे दिल से मांगी दुआ पूरी हुई,सुबह तक केवल दो ग्राहक सामान ले गए थे,और यह इतना बड़ा आर्डर एक झटके में मिल गया।आपकी व बाघा की चार महीने की पगार पक्की समझो।उदास मन से बाघा बोला-,सेठजी दीवाली का बोनस।जेठा लाल- बाघा लालच बुरी बला है।पहले पगार लो,अभी त्योहार के दो दिन बचे है फिर देखते है।बाघा व नट्टू काका एक साथ बोले-सेठ जी आपका कितना बड़ा दिल है।जेठा लाल बोले-दूसरों के लिए अच्छा सोचकर जो दिल से चाहोगे तो वो जरूर मिलता है। नेकी का फल मीठा होता है।


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