बारिश की साजिश
बारिश की साजिश
बारिश तेज हो रह थी। मौसम सुहाना था।आज रमन ऑफिस भी नहीं गये। शाम का टाइम था।
"चलो ना रमन बारिश में भीगते है"
"तुम्हे भीगना हो तो जाओ भीगो मैं नहीं आने वाला"
पहले तो मुझे बहुत तेज गुस्सा आया। फिर शैतान दिमाग में एक आयडिया आया। फिर मैं चली गई बारिश का आनंद लेने। अचानक मैं चिल्लाई तो रमन ने पूछा "क्या हुआ?"
मैंने कहा कि पाव फिसल गया बहुत तेज दर्द हो रहा है।
"आओ उठ कर, मैं देखता हूँ"
मैंने कहा "मैं नहीं उठ पा रही हूँ बहुत दर्द है"
वो छाता लेकर मेंरे पास आये मैंने मौके पर चौका मारा और छाता उठाकर फेक दिया।
"ये क्या कर रही हो"
मैंने कहा "बारिश की साजिश है, जनाब आप को बुलाने का"
वो मुस्कराए, फिर हम दोनो जम कर भीगे बारिश में।