Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

आस्था का महापर्व

आस्था का महापर्व

2 mins
205


"दादी मुझे सुनाओ ना छठ करने से क्या फायदा होता है?" छोटा सा पोता छठ घाट पर से आने के बाद दादी से तपाक से पूछ बैठा।

" हाँ, आ बैठा मेरे पास, सब सुनाती हूँ। सुन ध्यान से।" पोते को गोद में बैठाकर दादी सुनाने लगी।


"सभी व्रतों के पीछे हमारे संस्कार और हमारा स्वास्थ्य दोनों है। चार दिनों से चल रहा यह छठ पर्व भोर के अर्घ्य के साथ आस्था का महापर्व 'छठ' का समापन हो जाता है। संपूर्ण भारत खासकर बिहार में इसका व्यापक रूप देखने को मिलता है। भारतीयों के चलते अब विदेशों में भी इस व्रत का प्रचार-प्रसार हुआ है। छठ का पहला अर्घ्य- अधोगामी, डूबते सूर्य को दिया जाता है। हमारे जीवन से इसका बहुत गहरा सम्बन्ध है। जीवन हमेशा एक - सा नहीं रहता है। यह पर्व हमें ढलती हुई उम्र के प्राणियों के प्रति आदर और प्रेम करना भी सिखाता है। हम उनके जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों से सीख लेते रहें तथा उनका सम्मान करें। दूसरा अर्ध्य- उर्ध्य्गामी , उगते सूर्य को दिया जाता है।

घाटों, पोखरों, तालाबों की सजावट तथा छिट्टा-पथिया (दौड़ा ) , सूप में रखे पकवान (ठेकुआ, भूस्पा) , फल, सब्जी , ऊख आदि को देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता है। सभी व्रतियों को जल‌ में घंटों हाथ जोड़कर, सूर्य की प्रतीक्षा करता देख वातावरण भक्तिमय हो जाता है। इस व्रत के पीछे अनेक पौराणिक कथाएं हैं। सूर्य की उर्जा से हमारा समस्त जीवन-चक्र चलता है। सूर्य ही जीवन है। हम इस व्रत में सूर्य के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं। यह सभी धर्मों, समुदायों को जोड़ता हुआ यह एक अनूठा पर्व है।


हमारी संस्कृति में यह खासियत है कि सभी पर्व-त्यौहार प्रकृति से जुड़े हैं। जब मैं नयी पीढ़ी को इस व्रत में उत्साहपूर्वक भागीदारी लेते देखती हूँ तो मेरा मन खुशियों से झूम उठता है। वास्तव में हमारी नयी पीढ़ी भी इस पर्व से उत्साहित और अनुप्राणित दिख रहे हैं। यह पर्व आपसी वैमनस्य को हटाकर हमें एक दूसरे से जोड़ता है। इस पर्व से हमारे नये रिश्तों की शुरुआत होती है। निश्चित रूपेण यह महापर्व सौहार्द्रता का प्रतिक है। अच्छा बता, अब तू छठ के बारे में समझा कि नहीं ?" दादी मुस्कुराते हुए बोली।

"सब समझ गया दादी, बड़ा होकर मैं भी आपकी तरह छठ करूंगा। लेकिन ठेकुआ आपको ही बनाना पड़ेगा।" कहते हुए दुलारा पोता दादी से लिपट गया।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational