जन्मोत्सव
जन्मोत्सव
मोहल्ले में आज का वातावरण ही अलग था। चारों ओर उत्सव का नजारा देखने को मिल रहा था। हर कोई जल्दबाजी में था। कोई यहाँ तो कोई वहाँ भागा जा रहा था। क्या खरीदना है ? क्या पहनना है ? और क्या गिफ्ट करे ? रहवासियों के सामने यह कुछ अति जटिल प्रश्न मुँह बायें खड़े थे जिनका हल आपसी सलाह-मशव़रा से कोई निकाल लेता तो कोई असमंजस में किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने में स्वयं को असमर्थ समझने लगता।
दरअसल मोहल्ले में आज दो अलग-अलग परिवारों में जन्म दिवस का उत्सव मनाया जाने वाला था। और दोनों ही परिवारों ने लगभग सभी रहवासियों का निमंत्रण दिया था अपने-अपने आयोजन में, सपरिवार सम्मिलित होने का।
इसी कारण मोहल्ले के निवासी असमंजस्य की स्थिति में थे। किसके यहाँ जाये ? किसके यहाँ न जाये ? क्योंकि गर्मीयों का मौसम था। भोजन किसी एक के यहाँ ही किया जा सकता था। राजेश रुपये पानी की तरह बहा रहा था। उसके यहाँ आयोजित की जाने वाली जन्मदिन की पार्टी के लिए। उसने अपने मकान के आगे की सर्विस रोड पर लम्बा चौड़ा टेन्ट लगवाया। रंग-बिरंगी लाइटिंग और डीजे साऊण्ड पर आधुनिक गीतों की कान फोडू तीव्र ध्वनि बरबस ही रहवासियों को कान पर हाथ रखने पर विवश कर रही थी। भोजन में न-न प्रकार के व्यंजन बनाये जा रहे थे। जिनकी सुगंध वातावरण में तैर रही थी। उधर किशन के यहाँ भी जन्मदिवस पर स्नेह भोज का आयोजन था लेकिन उसके घर से धुँआ निकल रहा था।
किशन ने अपने परिवार को मंदिर ले जाकर ईश्वरीय दर्शन करवाया। फिर सपत्नीक और बच्चों के साथ अपने माता-पिता के चरण स्पर्श कर आशीष प्राप्त किया। घर में पूजन-विधि उपरांत हवन किया जा रहा था। जिसके कारण हवन से उठता धुँआ आसपास के घरों तक पवित्रता की सुगंध फैला रहा था। किशन ने घर के अन्दर के कमरों में और छत पर रहवासीयों के बैठने की समुचित व्यवस्था की थी। उसने घर के बाहर दोनों दिशाओं में जाती सड़क आमजनों के आवागमन हेतु पुर्व की भांति रिक्त रखवायी। तथा समय-समय पर किशन स्वयं घर से बाहर आकर देखता की कहीं आगंतुकों के वाहनों से सर्विस रोड बाधित न हो गयी हो। शोरगुल रहित वातावरण में मिठी नमकीन छाछ, रसना शर्बत और कुलर की ठण्डी-ठण्डी हवा में रहवासी पूरे मन से पूजन-हवन में सम्मिलित हो रहे थे। राजेश के स्वरूचि भोज में लोगों की रूचि जरूर थी किन्तु किशन के यहाँ स्नेह भोज में पूरा मोहल्ला सम्मिलित होना चाहता था। राजेश के यहाँ छोटे-छोटे बच्चे अधिक पहुँच रहे थे। जबकी बड़े-बूढ़ों की संख्या किशन के यहाँ अधिक थी। राजेश के यहाँ रहवासीओं ने औपचारिकता पुर्ण की जबकि किशन के यहाँ रहवासी आत्मीयता से उससे और उसके परिवार से मिलकर उनकी खुशियाँ दुगनी कर रहे थे।
राजेश अपने 10 वर्षीय बेटे का जन्मदिन मना रहा था और किशन 75 वें वर्ष में प्रवेश कर रहे अपने पिताजी के दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य के लिए पुजन-यज्ञ करवा रहा था। राजेश के घर का आयोजन रहवासियों के लिए कोई नयी बात नहीं थी जबकी किशन के घर आयोजित हो रहे उसके पिताजी के जन्मोत्सव आयोजन में लोगों की आस्था अधिक थी। एक ओर धन-वैभव और विलासिता से सजी-धजी राजेश के बेटे की जन्मदिन की पार्टी थी तो दूसरी और समाज को प्रेरणा देता किशन के पिताजी का सादगी से भरा पावन-पुनीत जन्मोत्सव। किशन ने अपने यहाँ पधारे रहवासियों को प्रेम से भोजन करवाया तथा रात्रि में भजन-कीर्तन हेतु पुनः निमंत्रित किया। राजेश के यहाँ भी स्वरूचि भोज चल रहा था। वह आश्चर्य से भर गया जब उसने अपने यहाँ किशन और उसके पुरे परिवार को अपने बेटे के जन्मदिन पर बधाई देने आते हुये देखा। किशन सहपरिवार राजेश के बेटे के जन्मदिन में सम्मिलित हुआ। और राजेश ने अपने आयोजन में इतना तामझाम करवा लिया कि वह चाहते हुये भी किशन के पिताजी के जन्मोत्सव में सम्मिलित नहीं हो सका। अगले दिन राजेश के घर पर आयोजित जन्मदिन की पार्टी की चर्चा रहवासियों के मुख पर थी।
इसके साथ ही लोग किशन की भी प्रशंसा करते हुए थक नहीं रहे थे। उसकी सादगी, माता-पिता की सेवा तथा मित्रवत व्यवहार से हर कोई मंत्रमुग्ध था। रहवासियों में से कुछ ने तो अपने माता-पिता का जन्मोत्सव किशन के यहाँ आयोजित हुये जन्मोत्सव के समान ही मनाने का संकल्प भी ले लिया था।