Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

वड़वानल - 64

वड़वानल - 64

13 mins
287


नौसैनिकों द्वारा दिल्ली भेजे गए सन्देश के बारे में गॉडफ्रे को पता चला तो वह ज़्यादा ही बेचैन हो गया,  तीन अधिकारियों को छुड़ाने की ज़िम्मेदारी के साथ–साथ मुम्बई की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी भी उस पर आ पड़ी थी। नौसैनिकों को स्वेच्छा से खाना पहुँचाने आए नागरिकों को वह देख चुका था।

‘‘क्या हमारा साथ देने वाले सैनिक नौसेना में हैं ही नहीं ?’’ उसने रॉटरे से पूछा।

‘‘क्षणिक स्वार्थ के लिए हमारा साथ देने वाले लोग जगह–जगह पर हैं, इसीलिए तो हम यहाँ टिके हुए हैं। नौसेना भी इसके लिए अपवाद नहीं है।’’ रॉटरे ने जवाब दिया।

‘‘फिर वे इस विद्रोह का विरोध क्यों नहीं करते ?’’   गॉडफ्रे ने पूछा।

‘‘हमें उन तक पहुँचना चाहिए था, उनसे अपील करनी चाहिए थी। अभी भी वक्त हाथ से गया नहीं है। हम उनसे अपील करेंगे। उन तक पहुँचेंगे। ’’ रॉटरे ने सुझाव दिया।

‘‘मगर कैसे ? ’’   गॉडफ्रे ने पूछा।

‘‘अख़बारों का कोई फ़ायदा नहीं। मेरा ख़याल है कि इस काम के लिए रेडियो उचित रहेगा ।’’  रॉटरे ने सुझाव दिया और गॉडफ्रे ने सैनिकों से अपील करने का निर्णय लिया।

दोपहर को ढाई बजे गॉडफ्रे की अपील आकाशवाणी से प्रसारित की गई । इस अपील में कोई अपील थी नहीं,  उल्टे धमकी ही थी:

‘‘आज की अनुशासनहीन परिस्थिति में मैं नौसैनिकों से बात करने के लिए इस सम्पर्क माध्यम का उपयोग कर रहा हूँ, क्योंकि ज़्यादा से ज़्यादा सैनिकों तक पहुँचने का यह एकमात्र साधन है ।

‘’पहले यह कहूँगा कि तुम लोग इस बात को अच्छी तरह समझ गए होगे कि हिन्दुस्तान सरकार किसी भी तरह की अनुशासनहीनता या अनुशासनहीन बर्ताव को बर्दाश्त नहीं करेगी। यदि ज़रूरत पड़ी तो सरकार अनुशासन स्थापित करने के लिए, सभी प्रकार की उपलब्ध ताकत का इस्तेमाल करने से हिचकिचाएगी नहीं। सरकार के इस निर्धार को ध्यान में रखो और अब जो कुछ भी मैं तुमसे कहने वाला हूँ उस पर विचार करो।

‘‘दिनांक 19 फरवरी को तुममें से जो सैनिक अपनी माँगें लेकर फ्लैग ऑफिसर बॉम्बे रिअर एडमिरल रॉटरे से मिले थे, उन माँगों के बारे में मैं तुम्हें आश्वासन देता हूँ कि तुम्हारी जो भी माँगें हैं, शिकायतें हैं उनकी पूरी जाँच की जाएगी। सैनिकों को सेवामुक्त करते समय उन्हें सेवा एवं आयु के अनुसार ही मुक्त किया जाएगा। सैनिकों को सेवामुक्त करने से सेना में प्रशिक्षित तथा अनुभवी सैनिकों की कमी हो जाती है। कम्युनिकेशन सैनिकों के सम्बन्ध में यह बात ज़्यादा प्रमुखता से सही है।

‘‘तीनों सैन्य दलों के लिए नियुक्त समिति वेतन, यात्रा और पारिवारिक भत्तों पर विचार करेगी। इस समिति ने कराची और जामनगर के नाविक तलों का दौरा किया है।

‘‘आज सुबह मुम्बई के नाविक तलों और जहाज़ों की स्थिति शोचनीय थी। यह स्थिति खुल्लम–खुल्ला विद्रोह की थी। सैनिक अपने होशोहवास खो बैठे थे।

‘‘सैनिक अपनी–अपनी बैरेक्स में ही रहें और इससे पहले जो दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ हुई हैं, उनकी दुबारा पुनरावृत्ति न हो इसीलिए कल रात को ‘तलवार’ और ‘कैसल बैरेक्स’ के चारों ओर भूदल का घेरा डाला गया।

‘‘आज सुबह ‘कैसल बैरेक्स’ के सैनिकों ने घेरा तोड़कर बाहर जाने की कोशिश की तो भूदल के सैनिकों को विवश होकर गोलीबारी करनी पड़ी । इस गोलीबारी का नौसैनिकों ने बैरेक्स के भीतर से जवाब दिया । भूदल द्वारा की गई गोलीबारी का एकमात्र कारण था इन नौसैनिकों को बैरेक्स में ही सीमित रखना। ये फायरिंग सैनिकों को क्षुब्ध करने के लिए नहीं की गई थी।

 ‘‘मैं एक बार फिर से दोहराता हूँ, हिन्दुस्तान की सरकार हिंसा को बढ़ावा नहीं देगी। यदि सरकार की सैन्य ताकत की ओर ध्यान दो तो तुम्हें समझ में आ जाएगा कि इस संघर्ष को जारी रखना निहायत बेवकूफी है। सरकार उपलब्ध सैनिक बल का प्रयोग पराकाष्ठा की सीमा तक करेगी, ऐसा करते समय जिस नौसेना पर हमें गर्व है, उसका विनाश भी हो जाए तो सरकार परवाह नहीं करेगी।’’

गॉडफ्रे ने अपनी अपील समाप्त की।

‘‘ये साला गॉडफ्रे हिन्दुस्तानी नौसेना को अपने बाप की जागीर समझता है क्या ? ’’ मदन ने चिढ़कर कहा। ‘‘कहता है, नौसेना को नष्ट कर देगा। इस नौसेना पर हर हिन्दुस्तानी नागरिक का अधिकार है। वह हमारी सम्पत्ति है। युद्ध के दौरान हिन्दुस्तान ने अपना सुरक्षा व्यय दुगुना किया तभी तो ये नौसेना बनी है। सुरक्षा व्यय में हिन्दुस्तान ने ब्रिटेन से अधिक बढ़ोतरी की थी। ये नौदल हमारा है। हम जी–जान से इसकी रक्षा करेंगे।’’

‘‘गॉडफ्रे घमण्डी है।’’  दत्त ने कहा। ‘‘इन ब्रिटिशों के बोलने का एक अलग ही तरीका होता है। जब देखते हैं कि कोई फालतू–सी घटना उनके लिए हितकारी है,  तब वह उस घटना को बढ़ा–चढ़ाकर बताते हैं; और यदि उन्हें ऐसा लगता है कि कोई घटना उनके विरुद्ध जा रही है तो उसे अत्यन्त हीन बना देते हैं। अब यही ले लो ना, आज तक गॉडफ्रे को हिन्दुस्तानी नौसेना का शौर्य कभी नज़र ही नहीं आया, मगर आज उसे लोगों को यह बताना है कि वह कितना बड़ा त्याग करने को तैयार है; हिन्दुस्तानी नौसैनिक कितने अनुशासनहीन हो गए हैं यह सिद्ध करना है, इसीलिए हिन्दुस्तानी नौसेना के प्रति उसका पूतना–प्रेम उफ़न रहा है। हम तटस्थ दृष्टि से विचार करें। दूसरे महायुद्ध में हिन्दुस्तानी नौसेना ने कौन–सा गौरवास्पद कारनामा किया?  इस युद्ध में हज़ारों नौसैनिक मारे गए। अनेक जहाज़ समन्दर की गोद में समा गए। इस सबमें हिन्दुस्तानी नौसेना का हिस्सा?  हमारी भूमिका सिर्फ 'Also ran' इतनी ही थी। महायुद्ध में जान गँवाने वाले नौसैनिकों की फ़ेहरिस्त सिर्फ आठ–दस पन्नों में सिमट जाएगी। ‘सिन्धु’   जहाज़ अकाबा बन्दरगाह से बाहर पानी की सुरंग से टकराकर टूट गया। सोफिया मारिया जैसे छोटे–छोटे जहाज़ पानी की सुरंगों से टकराकर डूब गए। सोफिया मारिया अण्डमान–निकोबार के निकट किस तरह डूबा यह किसी को भी पता नहीं है। HMIS बंगाल की कारगुज़ारी सबसे शानदार रही । ऑस्ट्रेलिया से वापस लौटते समय उसने अपने से काफी बड़े जापानी जहाज़ को डुबो दिया। बस! ख़तम हो गए कारनामे। ऐसी नेवी पर उसे गर्व है। झूठा है वो!’’   दत्त चिढ़ गया था।

‘‘मतलब यह कि यह नौदल नष्ट करने लायक ही है, यही ना? ’’ गुरु ने पूछा।

‘‘नहीं, वैसी बात नहीं। ये नौदल हमारा है, उसकी रक्षा तो हम करेंगे ही। गॉडफ्रे को इससे मोहब्बत हो,  ऐसी कोई बात नहीं है। उसका हिन्दुस्तानी नौसेना के प्रति गर्व स्वार्थ प्रेरित है।’’   दत्त ने जवाब दिया।

‘‘हमारी अगली नीति क्या होगी ?’’  मदन ने पूछा।

‘‘गॉडफ्रे की धमकियों से न घबराते हुए संघर्ष जारी रखना है। अब चार बजे हालाँकि मैं गॉडफ्रे से बात करने वाला हूँ,  फिर भी निर्णय सर्वसम्मति से ही होगा। बातचीत के दौरान गोलीबारी नहीं होगी। हमारी सभ्यता के, तहज़ीब के और संयम के प्रतीक के रूप में हम हमला नहीं करेंगे,  मगर यदि हम पर हमला हुआ तो करारा जवाब दिये बिना नहीं रहेंगे।’’ खान की इस राय से सभी सहमत हो गए। खान ने सभी जहाज़ों और नाविक तलों को सूचित किया।

‘‘गॉडफ्रे और रॉटरे से बातचीत करने के लिए हम ‘कैसल बैरेक्स’ जाने वाले हैं। आशा है, इस मुलाकात के दौरान आप अहिंसक रहेंगे! मुलाकात का परिणाम आपको सूचित किया जाएगा।’’

इस सन्देश के सभी जहाज़ों पर पहुँचने से पहले ही सफ़ेद झण्डा लिये एक गोरा सैनिक कैसल बैरेक्स की ओर आता दिखाई दिया और दोनों ओर की बन्दूकें शान्त हो गईं। लुक आउट गेट के निकट गए, सन्देश वाला कागज़ लिया और कैसेल बैरेक्स में गॉडफ्रे ख़ुद आने वाला है। यह ख़बर हवा की तरह फैल गई।

‘‘अगर गॉडफ्रे ख़ुद हाथ में सफ़ेद झण्डा लेकर आये तभी उससे बातचीत करेंगे!’’

‘‘बातचीत मेन गेट के बाहर होगी। हम गॉडफ्रे को बैरेक्स में नहीं आने देंगे।’’

‘‘अगर उसे बैरेक्स में आना हो तो कैप और रैंक के चिह्न उतारकर ही आए।’’

‘‘इसमें ज़रूर गॉडफ्रे की कोई चाल है, वरना नौसेना नष्ट करने के लिए निकला गॉडफ्रे बातचीत के लिए क्यों आ रहा है? उससे बातचीत करो ही मत।’’

‘‘यह हमारी विजय है। पहले भूदल सैनिकों का घेरा उठाओ, तभी बातचीत होगी।’’

हरेक सैनिक अपनी–अपनी राय दे रहा था। कुछ लोग तो मानो हल्दी की आधी गाँठ से ही पीले हो गए थे।

नौसैनिकों के कब्ज़े में जो अधिकारी थे उनकी सुरक्षा के बारे में जनरल हेडक्वार्टर चिन्तित था। हर आधे घण्टे बाद ‘कैसल बैरेक्स’ का फ़ोन खनखना रहा था और विनती की जा रही थी, ‘‘तीनों अधिकारियों को मुक्त करो!’’

‘‘बाहर का घेरा उठाओ और बातचीत के लिए तैयार हो जाओ। हम अधिकारियों को छोड़ देंगे।’’  सैनिक जवाब दे रहे थे। 

एचिनलेक की आज्ञानुसार अपने मिशन पर निकला लॉकहर्ट पाँच बजे ही मुम्बई पहुँच गया। विद्रोह दबाने का काम लॉकहर्ट को सौंपा गया है, यह पता चलने पर गॉडफ्रे बेचैन हो गया था। उसके नौसेना प्रमुख होते हुए लॉकहर्ट की इस काम के लिए नियुक्ति उसे अपमानजनक लग रही थी। यह एचिनलेक द्वारा उसकी कार्यक्षमता पर दिखाया गया अविश्वास ही था।

मुम्बई पहुँचते ही लॉकहर्ट ने बाहर से ही ‘कैसल बैरेक्स’ का इन्स्पेक्शन किया। मुम्बई के गवर्नर सर जे. कोलविल और बॉम्बे एरिया कमाण्डेन्ट ब्रिगेडियर साउथगेट से चर्चा की। सारी घटनाओं को समझने के लिए उसने गॉडफ्रे को बुलवा लिया। ‘चौबीस घण्टे में विद्रोह को कुचलना है तो कठोर कार्रवाई करनी ही होगी,’ उसने मन ही मन निश्चय किया। ‘दिल्ली से मुम्बई के सफ़र के दौरान तय की गई योजना ही उचित है ।’ उसके दिल ने हामी भरी और उसने ब्रिगेडियर साउथगेट को सूचनाएँ दीं।

‘‘मुम्बई में शान्ति स्थापित होकर स्थिति सामान्य हो ही जानी चाहिए।’’ दिल्ली में बैठे आज़ाद वॉर सेक्रेटरी मैसन से कह रहे थे, ‘‘मुम्बई में यदि स्थिति सामान्य नहीं हुई तो पूरे देश में हिंसा भड़क उठेगी, हज़ारों लोगों की जान जाएगी और तुम लोगों के लिए राज करना मुश्किल हो जाएगा।’’

‘‘सर, हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि मुम्बई की स्थिति दो–एक दिन में सामान्य हो जाएगी। आज सुबह हमने जो कदम उठाए हैं,  ‘तलवार’ और ‘कैसल बैरेक्स’ के चारों ओर भूदल के सैनिकों का जो घेरा डलवाया, वह सिर्फ सैनिकों और मुम्बई की सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक था इसीलिए।’’  मैसन के शब्दों की मिठास और गहरी नीली आँखों की धार ही ऐसी थी कि सामने वाला इन्सान उसके शब्दों पर विश्वास कर बैठता। आज़ाद के साथ भी यही हुआ।

 ‘‘आपसे एक प्रार्थना है।’’  खुशामद करते हुए मैसन ने कहा।

‘‘बोलिये!’’ आज़ाद ने कहा।

‘‘कांग्रेस जिस तरह अब तक इन सैनिकों से दूर रही, उसी तरह वह आगे भी रहे।’’ मैसन ने विनती की और आज़ाद ने उसे मान लिया। मैसन ने इस बात की पूरी व्यवस्था कर ली कि कांग्रेस विद्रोह से पूरी तरह दूर रहेगी। मगर लॉकहर्ट हवाई हमलों की योजना बना रहा है, इंग्लैंड की कुछ युद्ध नौकाएँ और रॉयल एअरफोर्स के कुछ विमान इस विद्रोह को मिटाने के लिए आ रहे हैं यह उसने आज़ाद को नहीं बताया। 

साढ़े पाँच बज चुके थे। चार बजे आने वाला गॉडफ्रे अभी तक कैसल बैरेक्स में आया नहीं था । दत्त, मदन और खान उसकी राह देखते–देखते बेजार हो चुके थे। खान को अभी भी उम्मीद थी कि कुछ होगा,  जिससे सब कुछ आपसी सामंजस्य से सुलझ जाएगा ।

‘‘कितनी देर राह देखेंगे? मिलने का झाँसा देकर अपने को गाफ़िल रखने की चाल तो नहीं है गॉडफ्रे की?’’   मदन ने सन्देह व्यक्त किया।

‘‘मेरा ख़याल है कि हम और पाँच मिनट रुक जाएँ।’’ खान को अभी भी आशा थी।

वे वापस जाने के लिए मुड़े ही थे कि सफ़ेद झण्डा फ़हराती नौसेना की एक जीप आती दिखाई दी। बैरेक्स के सैनिकों ने नारे लगाना शुरू कर दिया। खान ने उन्हें शान्त किया।

जीप खट् से ब्रेक मारते हुए रुकी । खान और उसके साथियों की अपेक्षा भंग हो गई। जीप में गॉडफ्रे और रॉटरे दिखाई नहीं दे रहे थे। जीप में से स. लेफ्ट. एस. एस. चौधरी, लेफ्ट. इंदर सिंह और मुम्बई के एक नागरिक हातिम दरबारी उतरे।

‘‘दो कनिष्ठ अधिकारियों और एक अपरिचित नागरिक को बातचीत करने के लिए भेजकर गॉडफ्रे ने हमारा अपमान किया है !’’ मदन पुटपुटाया।

‘‘वे क्या कह रहे हैं यह तो देखें, ठीक लगा तो आगे बात करेंगे, वरना हम अपना रास्ता चुनने के लिए स्वतन्त्र हैं। दत्त ने समझाया ।

‘‘आपके पास बातचीत करने के लिए अधिकार–पत्र है?’’ खान ने पूछा।

इन्दर सिंह ने अधिकार–पत्र दिखाया।

 ‘‘गॉडफ्रे ने हमें पर्याप्त सूचनाएँ देकर भेजा है, ’’ सब. लेफ्ट. चौधरी ने अतिरिक्त जानकारी दी।

‘‘ठीक है।’’ पत्र दत्त के हाथ में देते हुए खान ने कहा, ‘‘मैं सेन्ट्रल कमेटी का अध्यक्ष लीडिंग टेलिग्राफिस्ट खान,  ये हमारी कमेटी के सदस्य - लीडिंग टेलिग्राफिस्ट मदन और गुरु, और दत्त - हमारा सलाहकार ।’’ खान ने परिचय करवाया।

इन्दर सिंह ने भी चौधरी और दरबारी का परिचय दिया।

‘‘क्या हम बैरेक्स में बैठकर बातचीत करें ?’’ इन्दर सिंह ने पूछा।

 ‘‘नहीं, बातचीत बाहर ही होगी। सैनिक गुस्से में हैं। हम कोई ख़तरा नहीं मोल लेना चाहते।’’  खान ने स्पष्ट किया।

''It’s all right. हम यहीं चर्चा कर लेते हैं।’’  इन्दर सिंह सम्मति दी।

‘‘सैनिकों की सद्भावना और बातचीत के ज़रिये समस्या सुलझाने की तीव्र इच्छा है, यह प्रदर्शित करने के लिए अपने कब्ज़े में रखे तीनों अधिकारियों को बिना शर्त मुक्त करें और...।’’

‘‘और क्या ?’’  इन्दर सिंह की बात काटते हुए दत्त ने पूछा।

‘‘सैनिक हथियार डाल दें।’’  इन्दर सिंह ने अपनी बात पूरी की।

‘‘आप क्या हमें दूधपीते बच्चे समझ रहे हैं ?’’  खान ने चिढ़कर पूछा।

‘‘हमारे हाथ के तुरुप कार्ड हम आसानी से फेंक देंगे, यह आपने समझ कैसे लिया ?’’  मदन ने चिढ़कर पूछा।

‘‘इन शर्तों पर बातचीत नहीं होगी।’’  गुरु ने चिढ़कर कहा।

‘‘ठीक है । यदि हम आपकी दोनों शर्तें मान लेते हैं तो अपनी सद्भावना व्यक्त करने के लिए आप क्या करेंगे ?’’   दत्त ने शान्त स्वर में पूछा।

‘‘एडमिरल गॉडफ्रे ख़ुद तुमसे बातचीत करने के लिए आएँगे।’’ चौधरी के चेहरे पर बड़ी उदारता का भाव था।

‘‘मेरा ख़याल है कि आप यहाँ से जा सकते हैं।’’ खान ने शान्त सुर में कहा। ‘‘बातचीत तो हम बिना किन्हीं पूर्व शर्तों के ही करेंगे।’’

‘‘मेरा ख़याल है कि यह आप लोगों की बेवकूफी होगी !’’  इन्दरसिंह ने समझाने के सुर में कहा।

‘‘आज दोपहर को गॉडफ्रे ने जो चेतावनी दी है, क्या उसे सुना नहीं है?’’ चौधरी ने कुछ गुस्से से कहा।

‘‘हमारी माँग आज़ादी की है। हम मौत की परवाह नहीं करते। आज़ादी के लिए लड़ने वाले सिर पर कफ़न बाँधकर बाहर निकलते हैं, ये तुम जैसे चापलूस क्या समझेंगे ? हमें क्यों मौत से डराते हो ?’’  गुरु ने गुस्से से पूछा।

‘‘ये सब बोलने ही की बातें हैं। वास्तविकता सामने आते ही...’’  इन्दर सिंह ने सुनाया ।

‘‘यह सच है कि हम यहाँ बातचीत करने आए हैं, मगर परिणामों की कल्पना देना भी हमारा उद्देश्य है।’’ चौधरी ने असली बात उगल दी।

‘‘शायद तुम लोगों को मालूम न हो इसलिए बताता हूँ। HMS ग्लैस्गो समेत कुछ जहाज़ और रॉयल एयरफोर्स के कुछ स्क्वाड्रन्स कल शाम तक हिन्दुस्तान पहुँच जाएँगे और फिर गॉडफ्रे ने जैसा कहा है, नौदल की बेस ज़मीनदोस्त हो जाएगी और जहाज़ समुद्र की गोद में समा जाएँगे।’’  इन्दर सिंह परिणामों से अवगत करा रहा था । ‘‘इस सबके लिए तुम लोग ज़िम्मेदार होगे। यदि इसे टालना चाहते हो तो हमारे कहे अनुसार अधिकारियों को मुक्त करो और हथियार डाल दो ।’’

‘‘ठीक है। हम यह करते हैं; पहले आप भूदल के सैनिकों का घेरा उठाइये।’’ खान ने अपनी शर्त बताई।

‘‘हमारे हथियार डाल देने के बाद हमारी सुरक्षा की क्या गारंटी है ?’’ गुरु ने पूछा।

‘‘उसकी गारंटी हम देते हैं।’’ इन्दर सिंह ने उन्हें भरोसा देने का प्रयत्न किया।

‘‘देश के प्रति गद्दार लोग हमसे कैसे ईमानदारी करेंगे ?’’  दत्त त्वेष से चीखा ।

“ It's enough.'' इन्दर सिंह गुस्से से चीखा । ‘‘समझते क्या हो तुम अपने आप को ?  अब भुगतो इसका नतीजा। मुझे अब आगे कोई बात नहीं करनी है ।’’ और वह जीप की ओर बढ़ा। ''Let's go,'' अपने साथियों की ओर देखते हुए उसने कहा।

‘‘एक मिनट, मुझे आपसे कुछ कहना है ।’’ जीप की ओर जाने वाले इन्दर सिंह को रोकते हुए हातिम दरबारी ने कहा।

‘‘इन्दर, इस तरह गुस्सा करने से काम नहीं चलेगा। गॉडफ्रे का आदेश याद है ना ?  बातचीत मत करना। अधिकारियों को छुड़वाकर लाना।’’

‘‘मैं नहीं समझता कि कुछ हाथ लगेगा।’’ इन्दर सिंह निराश हो गया था।

‘‘मैं कोशिश करता हूँ । आप यहीं रुकिये ।’’ दरबारी ने कहा और वे दत्त, मदन, गुरु और खान के पास आए।

‘‘आज तक की तुम्हारी गतिविधियों को देखकर मुझे ऐसा नहीं लगता कि तुम लोग उन तीनों को बन्धक बनाकर या जान से मारने की धमकी देकर अपना हेतु पूर्ण करोगे ।’’  दरबारी ने कहा।

‘‘यह ख़याल तो हमारे दिलों में आया भी नहीं।’’ खान ने जवाब दिया।

‘‘मैं जानता हूँ कि तुम उन्हें छोड़ दोगे। फिर अगर उन्हें अभी, इसी समय छोड़ दो तो ? इसमें तुम्हारा ही फ़ायदा है।“

‘‘हमारा क्या फ़ायदा है ?’’  गुरु ने पूछा।

‘‘अगर आज तुमने उन्हें बिना शर्त छोड़ दिया तो जनता के मन में तुम्हारे प्रति आदर बढ़ेगा। दूसरी बात यह कि तुम्हारे इस व्यवहार से प्रभावित होकर और हमारी विनती सुनकर भूदल का घेरा उठा दिया गया, तो भी तुम्हारा ही फ़ायदा है। यदि ज़िद में आकर तुमने अधिकारियों को नहीं छोड़ा, और गॉडफ्रे ने चिढ़कर हवाई हमला कर दिया तो कितने सैनिकों की जान जाएगी, कितने नागरिकों का नुकसान होगा इसके बारे में सोचो। मेरा ऐसा ख़याल है कि तुम लोग थोड़ा पीछे हटो और बातचीत के लिए तैयार हो जाओ। मैं रास्ता ढूँढ़ने की कोशिश करता हूँ ।’’  दरबारी ने समझाया।

‘‘हमें थोड़ा वक्त दीजिए; हम विचार–विमर्श करते हैं,’’ खान ने कहा।

खान ने दत्त, गुरु और मदन से सलाह करके ‘नर्मदा’, ‘ कैसल बैरेक्स’ और ‘तलवार’ के प्रतिनिधियों की भी फ़ोन करके राय ली। लगभग सभी प्रतिनिधियों की इस बात पर एक राय थी कि अधिकारियों को बन्धक न बनाया जाए। मगर सभी हथियार डालने के विरुद्ध थे।

खान ने सेंट्रल कमेटी के सदस्यों से चर्चा करके तय की गई नीति के अनुसार ले. कमाण्डर मार्टिन और दीवान को ‘पीस पार्टी’  के हवाले कर दिया। लेफ्ट. विलयम्स को गॉडफ्रे से बातचीत होने के बाद ही छोड़ा जाने वाला था। भूदल सैनिक और नौसैनिक पूरी तरह से गोलीबारी रोकने वाले थे। इन्दर सिंह, चौधरी और दरबारी बातचीत करवाने में सहायता करने वाले थे।

इस ‘पीस पार्टी’ के साथ ही खान, दत्त, गुरु और मदन गॉडफ्रे से मिलने के लिए निकले।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama