दुब्रोव्स्की - 15
दुब्रोव्स्की - 15
चाँद चमक रहा था, जुलाई की रात ख़ामोश थी, कभी-कभार हवा का हल्का झोंका आता और पूरे उद्यान में हल्की-सी सरसराहट छोड़ जाता।
एक हल्की-फुल्की परछाईं की भांति सुंदर युवती मिलन स्थल की ओर जा रही थी। अभी तक कोई भी नज़र नहीं आ रहा था,अचानक कुंज के पीछे से उसके सामने दुब्रोव्स्की प्रकट हुआ।
“मैं सब जानता हूँ”, उसने हौले से आर्त स्वर में कहा, “अपना वादा याद रखना।”
“आप मुझे संरक्षण देने का वादा कर रहे हैं”, माशा ने जवाब दिया, “मगर नाराज़ न होइये, वह वादा मुझे डरा रहा है। आप मेरी मदद कैसे करेंगे?”
“मैं आपको उस घृणित व्यक्ति से दूर कर सकता हूँ।”
“ख़ुदा के लिए, उसे मत छूना, उसे छूने की हिम्मत न करना, अगर तुम मुझसे प्यार करते हो। मैं किसी भयंकर घटना का कारण नहीं बनना चाहती।”
“मैं उसे नहीं छुऊँगा, आपकी इच्छा मेरे लिए पवित्र है। अपने जीवन के लिए वह आपका कृतज्ञ है। आपके नाम से कभी कोई बुरा काम नहीं किया जाएगा। मेरे अपराधों में भी आपको पाक-साफ़ ही रहना है। मगर मैं आपको क्रूर पिता से कैसे बचाऊँगा?"
“अभी भी उम्मीद है। मैं अपने आँसुओं और प्रार्थना से उनका हृदय द्रवित कर दूँगी। वह ज़िद्दी हैं, मगर मुझसे इतना प्यार करते हैं।”
“बेकार में यूँ ही विश्वास न कर बैठिए, इन आँसुओं में वह सर्वसाधारण भय एवम् तिरस्कार ही देखेगा, जो सभी युवतियों के दिल में जन्म लेते हैं, जब वे भयभीत होकर नहीं, अपितु विवेक-बुद्धि से शादी के लिए तैयार होती हैं। तब क्या होगा, जब वह आपकी इच्छा के विपरीत आपका ब्याह करने की ठान ले, अगर आपको ज़बर्दस्ती ब्याह-बेदी पर ले जाया जाए , ताकि आपका भविष्य सदा के लिए बूढ़े पति के हाथों में दे दिया जाए?
“तब, तब कुछ भी नहीं किया जा सकता, आप मेरे लिए आइए, मैं आपकी दुल्हन बन जाऊँगी।”
दुब्रोव्स्की काँप गया, उसके विवर्ण चेहरे पर लाली छा गई और फ़ौरन ही वह पहले से भी अधिक पीला पड़ गया। वह बड़ी देर तक सिर झुकाए ख़ामोश रहा।
“अपने हृदय की समस्त शक्ति बटोर कर, पिता से विनती कीजिए, उसके पैरों पर गिर जाइए, उसे भविष्य की भयानकता की कल्पना दीजिए, आपकी जवानी, सड़े-गल, घृणित बूढ़े के निकट पल-पल मुरझाती हुई। इन सब दिल दहलाने वाली बातों के बाद कहिए कि यदि वह अपनी बात पर अड़े रहे तो। तो आप ढूँढ़ लेंगी एक भयावह सहारा। कहिए कि धन-दौलत से आपको एक भी मिनट का सुख न मिलेगा। धन सिर्फ निर्धन को ही सांत्वना दे सकता है, और वह भी आदत न होने से, सिर्फ एक पल के लिए, उसके पीछे पड़ी रहिए, उसके क्रोध से न डरिए, न ही डरिए उसकी धमकियों से, जब तक आशा की नन्ही-सी किरण भी बाकी है, ख़ुदा के लिए अपनी कोशिश न छोड़िए। यदि कोई और मार्ग न दिखाई दे।”
अब दुब्रोव्स्की ने अपना चेहरा हाथों से ढाँप लिया, लगता था, वह गहरी साँस ले रहा है – माशा रो रही थी।” आह, कितना ग़रीब है , कितना दयनीय है मेरा भाग्य!” उसने कड़वाहट से साँस लेकर कहा, आपके लिए मैं जान भी दे देता। आपको दूर से ही देखते रहना, आपके हाथों को छूना, मेरे लिए कितने सुख का अनुभव था! और जब मेरे लिए यह संभव हो पाएगा कि आपको अपने धड़कते सीने में छिपाकर कह सकूँ, “ऐ, फ़रिश्ते,चलो मर जाएँ!” बेचारा मैं, मुझे सुख से बचना होगा, पूरी ताकत से उसे दूर धकेलना होगा। मैं आपके पैरों पर न गिर सकूँगा, आसमान को एक अबूझ दान के लिए धन्यवाद न दे सकूँगा, जिसका मैं पात्र नहीं। ओह, कितनी घृणा करनी चाहिए मुझे उससे, मगर मुझे महसूस हो रहा है कि अब मेरे दिल में घृणा के लिए भी कोई जगह नहीं है।”
उसने हौले से उसकी नाज़ुक कमर में हाथ डालकर उसे ख़ामोशी से अपने सीने से लगा लिया। माशा ने बड़े विश्वास के साथ युवा डाकू के कंधे पर सिर झुका दिया। दोनों मौन थे।
समय उड़ा जा रहा था।
“चलें," आख़िर माशा बोली। दुब्रोव्स्की मानो गहरी नींद से जागा हो। उसने उसका हाथ अपने हाथ में लेकर उसकी उँगली में अँगूठी पहना दी।
“अगर मेरे पास भागकर आना चाहे,” वह बोला, “तो यह अँगूठी यहाँ ले आइए और उसे इस चीड़ के कोटर में रख दीजिए, मैं समझ जाऊँगा कि मुझे क्या करना है।”
दुब्रोव्स्की ने उसका हाथ चूमा और पेड़ों के झुरमुट में छुप गया।