'' नया दौर ''
'' नया दौर ''
नया दौर है नयी कहानी ।
बालक-शिक्षा,युवां-रोजगार,वृद्धाश्रम।
सबकी पीड़ा-दुःख-दर्द है अपनी ज़ुबानी।
कंप्यूटर-लेपटाप-वैज्ञानिक-अविष्कार संग।
सब करते है बस अपनी मनमानी
हिंसा-द्वेष-नफ़रत के रहते ।
सबकी इंसानियत हो गई है पानी।
नैतिकता-परमार्थ से दूर हो गये सब।
अनैतिकता ही अपनाने की सबनें ठानी।
मानवता का ह्रास हुआ है ।
अब दानवता ने की है हानि।
नया दौर है नयी कहानी ।।
कलयुग का नया दौर चला है।
नारी मर्यादा का हनन हुआ है।
मासूम बच्चियां रोती है बिलखती।
अब अस्मत उनकी रोज़ है लुटती।
ऐसे राक्षसों का अवतरण हुआ है।
जिसे देखकर अंबर है रोता ।
धरती मां की छांती रोती ।
ईश्वर की भी आँखों से बहता पानी।
जानवर से भी बत्तर हुई इंसान की कहानी।
कहां लुप्त हो गई मानवता वों रूहानी।
नया दौर है नयी कहानी ।।
कहां गया वो भाईचारा ।
सुख-शांति-अमन का वो नारा।
लहरायें तिरंगा-झंडा प्यारा ।
यह हिन्दोंस्ता सदा रहें हमारा।
कहां गयें वो अमर बलिदानी ।
देश-प्रेम की उनकीअमिट कहानी।
पुलवामा-कारगिल-फ़तह थी जिनकी निशानी।
क्यों ? धूमिल हो गयी आज वीरों की जवानी।
क्यों ? भारत मां का दूध आज कर दिया पानी।
नया दौर है नयी कहानी ।।
क्यों ? चारों ओर जंग छिड़ी है।
भारत की ग़रिमा खतरें में पड़ी है।
एक नारी लाचार खड़ी है ।
कैसी यें विपदा आन पड़ी है।
क्या ? करने की है इस जग ने ठानी।
क्यों ? मानव बन बैठा है मूढ़-अज्ञानी।
भ्रष्ट नेताओं ने भी की खूब मनमानी।
न जानें कब खत्म होगी पाप की यें कहानी।
नया दौर है नयी कहानी ।।
