सीख अपनों की याद रखो
सीख अपनों की याद रखो
माँ हमेशा कहती है कपड़े ज़रूर महंगे या सस्ते हो सकते है पर कभी भी किसी की सोच या विचार नहीं।
जो लोग सच बोलते है उनकी सोच अनमोल होती है, लोगों का क्या है लोग तो कुछ भी बोलने से बाज़ नहीं आएंगे। तुम लोगों की बातों पर ध्यान मत देना
सच बोलने वालों को हमेशा इम्तिहान से गुजरना पड़ता है, किसी मारने वाले का तुम हाथ तो पकड़ सकते हो पर बोलने वाले का मुँह नहीं बन्द कर सकते।
ख़्वाब चाहे कितने भी बड़े देखना पर हमेशा ज़मीन पर अपनी नजर रखना। आसमान की और देखकर चलोगे तो कदम डगमगा जाएंगे और गिर जाओगे
दरवाज़ा छोटा होता है तो सर झुका लो अपना वरना चोट लगने का डर लगा रहता है।
पापा ने ये ही सिखाया की अंधेरों से कभी ना डरना वरना ये अंधेरे तुम्हें और डराएंगे। कोई तुम्हारे हाथ से कुछ छीन कर ज़रूर भाग सकता है पर तुम्हारी किस्मत की रेखाओं को नहीं। सब्र करो सब्र का फल हमेशा मीठा होता है उम्मीद का दामन थामें रखना आज ग़म है तो कल खुशी मिलेगी। मैं तुम्हारे साथ रहूं ना रहूं मेरी सीख हमेशा याद रखना। जिंदगी के हर मोड़ पर साया बन कर मैं तेरे साथ हूं और रहूँगा।