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चर्चा: मास्टर&मार्गारीटा30.1

चर्चा: मास्टर&मार्गारीटा30.1

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अध्याय 30

बिदाई की बेला

                                     

मास्टर और मार्गारीटा अर्बात वाले घर के तहख़ाने वाले फ्लैट में हैं, मास्टर सोच रहा है कि यह सब जादू ही है और सब कुछ जल्दी ही ग़ायब हो जाएगा...पाण्डुलिपियाँ, मेज़ पर रखा खाना, मार्गारीटा..। और वह अपने आप को फिर से स्त्राविन्स्की के क्लीनिक में ही पाएगा। मार्गारीटा उसे यक़ीन दिलाती है कि जो कुछ उसने देखा है, सच है और शैतान सब कुछ ठीक कर देगा अब मार्गारीटा ध्यान से मास्टर को देखती है और कहती है:

 “तुम्हें कितनी तकलीफ़ झेलनी पड़ी, कितना दुःख उठाना पड़ा, मेरे प्यारे! इसे सिर्फ मैं ही जानती हूँ। देखो, तुम्हारे बालों में चाँदी झलकने लगी है और होठों के पास झुर्रियाँ पड़ गई हैं। मेरे प्यारे, मेरे अपने, अब किसी बात की चिंता मत करो। तुम्हें बहुत कुछ सोचना पड़ा और अब तुम्हारे लिए सोचूँगी मैं! मैं वादा करती हूँ, वचन देती हूँ कि सब ठीक होगा, जितनी उम्मीद है, उससे अधिक. “मुझे किसी भी बात का डर नहीं है, मार्गो,” मास्टर ने फौरन जवाब दिया और उसने सिर ऊपर उठाया तो मार्गारीटा को लगा, कि वह बिल्कुल वैसा ही है, जैसा तब था, जब वह रचना कर रहा था उसकी जिसे कभी देखा नहीं था, मगर जिसके बारे में, शायद, जानता था, कि वह हुआ था, “मैं डरता भी नहीं, क्योंकि मैं सब कुछ सह चुका हूँ।वे मुझे बहुत डरा चुके, अब किसी और बात से डरा नहीं सकते. लेकिन मुझे तुम्हारे लिए अफ़सोस है, मार्गो! यही महत्वपूर्ण है, इसीलिए मैं बार-बार ज़ोर देकर कहता हूँ। सम्भल जाओ! एक बीमार और ग़रीब आदमी के लिए तुम अपनी ज़िन्दगी क्यों खराब करती हो? वापस अपने घर चली जाओ! मुझे तुम पर तरस आता है...इसीलिए ऐसा कह रहा हूँ “आह! तुम...तुम...,” बिखरे बालों वाला अपना सिर हिलाते हुए मार्गारीटा फुसफुसाई, “तुम विश्वास नहीं करते, अभागे इंसान! तुम्हारे लिए कल पूरी रात मैं नग्नावस्था में काँपती रही! मैंने अपने स्वरूप को बदल दिया, कितने ही महीने मैं अँधेरी कोठरी में बैठकर एक ही बात – येरूशलम के ऊपर छाए तूफान के बारे में सोचती रही, रोते-रोते मेरी आँखें चली गईं, और अब...जब सुख के दिन आने वाले हैं, तो तुम मुझे भगा रहे हो? मैं चली जाऊँगी, चली जाऊँगी मैं, मगर याद रखना, तुम निष्ठुर हो! उन्होंने तुम्हारी आत्मा को मार डाला है!”


मास्टर के हृदय में कटु-कोमल भाव जागे और न जाने क्यों वह मार्गारीटा के बालों में अपना चेहरा छिपाकर रो पड़ा। वह, रोते हुए फुसफुसाती रही, उसकी उँगलियाँ मास्टर की कनपटियाँ सहलाती रहीं. “हाँ, चाँदी की लकीरें, चाँदी की, मेरी आँख़ों के सामने देखते-देखते इस सिर पर बर्फ छा रही है। आह! दुःख का मारा मेरा यह सिर।देखो, कैसी हो गई हैं तुम्हारी आँखें! उनमें रेगिस्तान है...और कन्धे, कन्धों पर कितना बोझ है...तोड़ दिया, तोड़ दिया है, उन्होंने तुम्हें,” मार्गारीटा असम्बद्ध शब्द बड़बड़ाती रही, रोते-रोते वह काँपने लगी।

तब मास्टर ने अपनी आँखें पोंछी, मार्गारीटा को उठाया, खुद भी खड़ा हो गया और निश्चयपूर्वक बोला, “बस! बहुत हुआ! तुमने मुझे लज्जित कर दिया। अब मैं कभी साहस नहीं खोऊँगा और न इस बहस को कभी छेडूँगा; तुम भी शांत हो जाओ। मैं जानता हूँ, हम दोनों अपनी मानसिक बीमारी के सताए हुए हैं! शायद मैंने अपनी मानसिकता तुम्हें दे दी है...तो, हम सब कुछ साथ-साथ झेलेंगे...”मार्गारीटा मास्टर के कान के निकट अपने होंठ लाते हुए फुसफुसाई, “तुम्हारी जान की कसम, तुम्हारे द्वारा रचे गए भविष्यवेत्ता के बेटे की कसम, सब कुछ ठीक हो जाएगा.”

मास्टर ने हँसते हुए कहा, “बस...बस, चुप करो. जब लोग पूरी तरह लुट जाते हैं, जैसे कि हम, तो किसी ऊपरी ताकत में ही सहारा ढूँढ़ते हैं! ख़ैर, मैं भी यह करने के लिए तैयार हूँ” वे दोनों ही सही थे। बुद्धिजीवियों को इतना सताया जाता था...उनकी आत्मा को इस तरह कुचला जाता था ताकि वे सच न बोल सकें।यहाँ किन्हीं नामों का ज़िक्र नहीं है, वह सिर्फ कहती है ‘उन्होंने’; मगर मतलब साफ़ है...यह एन.के.वे.दे।के बारे में है.मास्टर का कहना भी ठीक ही था कि जब हालात बहुत ही बिगड़ जाते हैं तो उन्हें सही करने के लिए लोग दूसरी दुनिया की ताक़तों से सहायता माँगते हैं

जैसे ही वे खाना शुरू करते हैं, अज़ाज़ेलो प्रवेश करता है।हमें मालूम है कि उसे वोलान्द ने भेजा है सब कुछ ठीक-ठाक करने के लिए।चलिए, देखें कि वह क्या करता है

“इसी वक़्त खिड़की में एक नकीली आवाज़ सुनाई दी, “आपको सुख शांति मिलेमास्टर काँप गया, मगर अब तक अजूबों की आदी हो चुकी मार्गारीटा चिल्लाई, “हाँ, यह अज़ाज़ेलो है! आह, कितना अच्छा है, कितना प्यारा है यह अहसास!” वह मास्टर के कान में फुसफुसाई, “देखो, वे हमें भूले नहीं हैं!” वह दरवाज़ा खोलने के लिए भाग “तुम कम से कम स्वयँ को ढाँक तो लो,” पीछे से मास्टर चिल्लाया

 “छोड़ो भी!” अब मार्गारीटा प्रवेश-कक्ष में पहुँच चुकी थी. अब अज़ाज़ेलो अभिवादन कर रहा था, मास्टर से नमस्ते कह रहा था, उसे अपनी टेढ़ी आँख मार रहा था और मार्गारीटा खुशी से चिल्लाई, “आह, मैं कितनी खुश हूँ! ज़िन्दगी में मैं इतनी खुश कभी नहीं हुई! मगर माफ करना अज़ाज़ेलो, मेरे तन पर कपड़े नहींअज़ाज़ेलो ने कहा कि वह परेशान न हो, उसने न केवल नंगी, बल्कि खाल निकाली गई औरतें भी देखी है, और वह खुशी-खुशी टेबल के पास बैठ गया, और अँगीठी के पास, कोने में, उसने काले किमख़ाब में लिपटा एक पैकेट रख दिया

मार्गारीटा ने अज़ाज़ेलो के जाम में कोन्याक डाली, जिसे वह फौरन पी गया। मास्टर उसे लगातार देखे जा रहा था और बीच-बीच में अपने टेबुल के नीचे अपने बाएँ पैर में चुटकी भी काट लेता था। मगर चुटकियों से कोई लाभ नहीं हुआ। अज़ाज़ेलो हवा में पिघल नहीं गया। इस लाल बालों वाले नाटॆ आदमी में कोई अजीब बात नहीं थी, सिर्फ उसकी आँख कुछ सफेद थी, मगर यह ज़रूरी तो नहीं कि उसका जादू से कोई सम्बन्ध हो।उसकी पोशाक भी साधारण ही थी – कोई चोगा, या कोट! अगर गौर से सोचा जाए तो ऐसा भी होता है।कोन्याक भी वह सहजता से पी रहा था – अन्य सभी भले आदमियों की तरह, गटागट, बिना कुछ खाए। इस कोन्याक से ही मास्टर का सिर घूमने लगा और वह सोचने लगा, ‘नहीं, मार्गारीटा सही कहती है! मेरे सामने शैतान का दूत ही बैठा है। मैंने ही तो अभी परसों रात को इवान के सामने सिद्ध किया था, कि वह पत्रियार्शी पर शैतान से मिला था और अब न जाने क्यों इस ख़याल से डरकर सम्मोहनों और भ्रमों के बारे में बकने लगा। कहाँ के सम्मोहक!’

वह अज़ाज़ेलो की ओर देखता रहा औउसे विश्वास हो गया कि उसकी आँखों में कोई दृढ़ निश्चय है, कोई विचार है, जिसे वह सही समय आने तक नहीं बताएगा,।‘वह सिर्फ मिलने के लिए नहीं आया है, उसे किसी विशेष काम से भेजा गया है,’मास्टर ने सोचा

उसकी निरीक्षण शक्ति ने उसे धोखा नहीं दिया

कोन्याक का तीसरा पैग पीकर, जिसका उस पर कोई असर नहीं हुआ, मेहमान ने अपनी बात शुरू की, “यह तहखाना बड़ा आरामदेह है, शैतान मुझे ले जाए! सिर्फ एक ही बात मैं सोच रहा हूँ, कि इसमें रहकर किया क्या जाए?” “यही तो मैं भी कह रहा हूँ,” मास्टर ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया.

 “तुम मुझे तंग क्यों कर रहे हो, अज़ाज़ेलो?” मार्गारीटा ने पूछा, “कुछ भी कर लेंगे! “आप क्या कह रही हैं?” अज़ाज़ेलो विस्मय से बोला, “मेरे दिमाग में आपको तंग करने का ख़याल भी नहीं आया। मैं तो खुद ही कह रहा हूँ – कुछ भी कर लेंगे। हाँ! मैं तो भूल ही गया था, मालिक ने आपको सलाम भेजा है, और बताने के लिए कहा है कि वे आपको अपने साथ एक छोटी-सी सैर पर चलने की दावत देते हैं...बेशक...अगर आप चाहें तो। आप क्या कहती हैं मार्गारीटा ने टेबुल के नीचे मास्टर को पैर से धक्का दिया

 “बड़ी खुशी से,” मास्टर ने अज़ाज़ेलो को पढ़ते हुए जवाब दि अज़ाज़ेलो बोला, “हमें उम्मीद है कि मार्गारीटा निकोलायेव्ना भी इनकार नहीं करेंगी? “मैं तो कभी भी इनकार नहीं करूँगी,” मार्गारीटा ने जवाब दिया और उसका पैर फिर मास्टर के पैर पर रेंग गया.

अज़ाज़ेलो चहका, “बहुत खूब! मुझे यह अच्छा लगता है! एक-दो और हम तैयार हैं! वर्ना तब...अलेक्सान्द्रोव्स्की पार्क में...अब वैसी बात नहीं है “आह, उसकी याद न दिलाइए, अज़ाज़ेलो! तब मैं बेवकूफ थी। मगर उसके लिए सिर्फ मुझे ही दोष नहीं देना चाहिए – आख़िर कोई हर रोज़ तो शैतानी ताकत से मिलता नहीं ह “क्या बात है!” अज़ाज़ेलो ने पुष्टि करते हुए कहा, “अगर हर रोज़ मिलता तो अच्छा होता..


“मैं फिर भूल गया...” अज़ाज़ेलो चिल्लाया और उसने अपने माथे पर हाथ मारते हुए कहा, “एकदम भूल गया। मालिक ने आपके लिए उपहार भेजा है,” अब वह मास्टर से मुखातिब था, “वाइन की यह बोतल। कृपया गौर कीजिए, यह वही शराब है जो जूडिया का न्यायाधीश पीता था।फालेर्नो वाइन.स्वाभाविक रूप से इस अप्रतिम उपहार ने मास्टर एवम् मार्गारीटा का ध्यान काफी आकर्षित किया।अज़ाज़ेलो ने काले किमखाब में लिपटी वह लबालब भरी बोतल निकाली। शराब को सूँघकर उसे प्यालों में डाला गया, उसके आरपार से खिड़की से बाहर तूफान से पूर्व लुप्त होते उजाले को देखा गया। यह भी देखा कि सब कुछ रक्तिम नज़र आ रहा था।

 “वोलान्द के स्वास्थ्य के लिए!” मार्गारीटा गिलास उठाते हुए चहकी.

तीनों ने अपने-अपने गिलास होठों से लगाए और एक-एक बड़ा घूँट लिया.मास्टर की आँखों के सामने से फौरन तूफान से पूर्व का प्रकाश लुप्त होने लगा, उसकी साँस रुकने लगी, उसे महसूस हुआ कि अंत करीब है। उसने यह भी देखा कि मुर्दे के समान पीली पड़ चुकी मार्गारीटा ने असहाय होकर उसकी ओर हाथ फैलाए, मेज़ पर सिर पटका और फिर फर्श पर फिसलने लगी.

 “ज़हरीले...” मास्टर चिल्लाने में कामयाब हुआ। उसने मेज़ से चाकू उठाकर अज़ाज़ेलो पर वार करना चाहा, मगर उसका हाथ निढ़ाल होकर मेज़पोश से नीचे गिर पड़ा, आसपास की सभी चीज़ें काली पड़ गईं, और सब कुछ खो गया। वह पीठ के बल गिर पड़ा।गिरते-गिरते अलमारी से टकराने के कारण उसकी कनपटी की चमड़ी छिल गई


जब ज़हर के शिकार शांत हो गए, तो अज़ाज़ेलो ने अपना काम शुरू कर दिया।सबसे पहले वह खिड़की से बाहर निकला और कुछ ही क्षणों में उस आलीशान घर में गया, जहाँ मार्गारीटा रहती थी। हमेशा ठीक-ठाक और सलीके से काम करने वाला अज़ाज़ेलो यह इत्मीनान कर लेना चाहता था कि सब कुछ ठीक-ठाक हुआ या नहीं।और, सब कुछ एकदम सही हो गया था। अज़ाज़ेलो ने देखा कि कैसे एक उदास, पति के लौटने की राह देखती हुई औरत अपने शयनगृह से निकली, एकदम पीली पड़ गई, और सीना पकड़कर असहायता से चिल्लाई,


“नताशा! कोई है...मेरे पास आओ!” वह अध्ययन-कक्ष की ओर जाने से पहले ही ड्राइंगरूम में ज़मीन पर गिर पड़ी



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