! माता आई !
! माता आई !
सोलह सिंगार कर मैया आई,
करने कल्याण भक्तों का आई।
लाल चुनर तेरे मन को भाए,
लहंगा बड़ा सुहाए।
नजर तेरे टीक है पर जाएं,
हीरा पन्ना उसमें जड़ जाए।
सोलह सिंगार कर मैया आई
करने कल्याण भक्तों का आई।
कंगना तेरा खन खन खनके,
बिंदी तेरी दम दम दमके।
पायल तेरी रुनझुन बाजे,
अपना मुझे बनाने आई।
सोलह सिंगार कर मैया आई
करने कल्याण भक्तों काआई।
तेरे दर की महिमा आली
हाथ जोड़ तेरे खड़े सवाली।
झोली सबकी भरती जाए,
कल्याणी तू बड़ी कहलाए।
सोलह सिंगार कर मैया आई।
करने कल्याण भक्तों काआई।
भावों के मधु पुष्प है लाई,
थोड़ा तुम्हें मनाने आई।
हलवा पूरी साथ में लाई,
दर्शन तेरा पाने आई।