ये कैसा प्यार भाग-६
ये कैसा प्यार भाग-६
"हाय राज ! राज ही है न आपका नाम ?" ( राज हाँ में सिर हिलाता है)।
"और आपका ? अं, विजय, हाँ, यस, सॉरी भूल गयी थी, और वो कहाँ है, अजय, अजय यही नाम था न ?"
"आप शायद संजय की बात कर रही हैं, वो नहीं आया अभी।"
"आप शायद सोनू को ढूँढ रही हैं फॉर्म के सिलसिले में ?"
"हाँ ठीक समझा आपने ?"
"आने वाला होगा, बाय द वे आप कुछ लेंगी ? ठण्डा, चाय ?"
" श्योर ! मैं और कैन्टीन में कुछ न लूँ ? आप बताइये आप क्या लेगें ?"
( राज बीच में ही बोल पड़ता है ) "आप क्यों केयर करती हैं हम ले रहें हैं न ?"
अंजलि- "नहीं आप बताइये, आप मेरी तरफ से लेने में कोई प्रॉब्लम है क्या ? एम आई नॉट योर फ्रैण्ड ?"
विजय- "ये आप क्या कह रहीं हैं ऐसी कोई बात नहीं।"
"तो फिर बोलिये क्या लेंगे ?"
राज- "वो क्या लड़के फॉर्मल्टी के लिऐ पूछते हैं ? आप ट्रीट करा रहीं हैं तो नॉ प्रॉब्लम क्यों विजय, हा हा हा।"
विजय- "ओये बेइजत्ती मत करा, हा हा हा, हाँ ठीक है।"
अंजलि- "वेरी इन्टेरेस्टिंग हो आप लोग, तो फिर बोलिये क्या खाएँगे ?"
"और समोसे खाऐंगें ! बस ? नूडल्स ? मोम्मोज ?"
"नो नो बस !"
विजय- "मैं कोक के बजाय चाय लूँगा।"
अंजलि- "ओके !"
( अंजलि ऑर्डर करती है। थोड़ी देर में खाने पीने का कार्यक्रम चल रहा है। एक दूसरे से ठीक से इऩ्टरोडक्शन चल रहा है। तो यहाँ तो खाने पीने का तामझाम है। आपके मुह में पानी तो नहीं आ रहा, तो आपको दूसरी जगह ले चलते हैं )
[… इधर सोनू मार्केट में फँसा हुआ है। कुछ जरुरी सामान लेने के बाद आईसक्रीम लेने आईसक्रीम सेन्टर जाता है, वहाँ अंजलि की वही फ्रैण्ड और उसकी मम्मी बैठे हैं। सोनू अंदर जाता है। उसके पास सामान होने की वजह से उस लड़की के पैर से टकराता है। वह लड़की सहम जाती है, इतने में सोनू बोल पड़ता है ]
"ससॉरी माफ कीजिये ( फिर उसकी मम्मी की तरफ ) सॉरी ऑण्टी जी !"
"कोई बात नही बेटा पर जरा संभल के ले जाओ हाँ !"
"जी ऑण्टी !"
( यह कहकर सोनू लड़की की तरफ देखता है वह डरी-डरी सी सोनू को देखती है )
सोनू ( मन ही मन में )- लगता है अचानक झटके से डर गयी। कितनी मासूम सी लड़की है और सीधी सादी सी ( फिर अचानक जैसे ख्वाब से जागा हो) "अरे मेरा आईसक्रीम तैयार हुआ ?" ( अपने आप से ) अब क्या कॉलेज जाऊँगा। अंजलि नाराज होगी, दोस्त भी ! दोस्त तो ज्यादा नहीं होंगे पर अंजलि ? कल जरूर बखेड़ा खड़ा करेगी ( इतने में उसकी आईसक्रीम आ जाती है ) "थैंक्यू, ये लीजिऐ !" ( पैसे देता है और बाहर चला जाता है जाते-जाते फिर लड़की की तरफ देखता है वो भी झुकी नजरों से उसे देख रही है )
[ चलिऐ वापस चलते हैं राज और विजय के पास, शायद खाना पीना निपट गया हो ]
विजय- "राज यार ये सोनू और संजू अभी तक नहीं आये !"
राज- "हाँ यार संजू के बिना तो दिन ही खराब लगता है।"
विजय- " वो नहीं आया सोनू तो आता ( अंजलि की ओर देखकर ) अंजलि जी ! आप कहाँ खोई हैं, आप कुछ नहीं बोल रहीं ?"
( अंजलि हड़बड़ाहट में रूमाल से आँखें पोंछती है )
"क्या हुआ अंजलि जी, कुछ गिर गया क्या आँख में ?"
"न...नहीं, कुछ नहीं ( भारी आवाज में ) शायद आँख का बाल था, नॉऊ आई एम ओके !"
"पर आप कुछ अपसेट-सी लग रही हैं !"
"मी ? आप लोग भी तो लग रहे हैं, कितना अजीब लगता है न वो दिन जब आपके फ्रैण्ड्स नहीं आते !"
"हाँ आप ठीक कह रही हैं, आपकी फ्रैण्ड्स नहीं आयीं आज क्या ?"
"आईं तो कई गर्ल्स हैं, पर व्हू इज बेस्ट, निकिता, वह अभी आने से डर रही है ( बनावटी हँसी हँसती है) और और सोनू भी तो नहीं आया न।"
( राज बीच में ही बोल पड़ता है )
"हाँ वो भी तो आपका बेस्ट फ्रैण्ड है न ?"
"बेस्ट फ्रैंण्ड और सोनू ? हूँह एक नम्बर का मतलबी !"
विजय- "नहीं-नहीं, वो कैसे ( कुछ जानने की चेष्टा में ) ?"
"मुझसे तो खूब कहता है कि अंजलि मेरी ये प्रॉब्लम है, वो प्रॉबेल्म है, आई ऑलवेज हैल्प्स और उसे एक ही फॉर्म दिया ठीक से भरने को, उसी को लेकर गायब है बेस्ट फ्रैण्ड ? नो, नो, नेवर ( कुछ छुपाना चाह रही है ) !"
विजय- "हो सकता है वो किसी काम से रह गया हो आप तो जानती है कि वो कितना मेहनती है !"
"ओके मान लेते हैं, पर मैंने उसे अपना मोबाइल नम्बर भी दिया है एक कॉल तो करता !"
राज- "शायद उसका भी टाइम न मिला हो !"
अंजलि - " ओ ( और गुस्से में ) तो हमें तो टाइम ही टाइम है, है ना ?"
राज-( हड़बड़ाहट में ) "अ...आप मुझसे क्यों नाराज हो रही हैं,क...कल उसी से पूछ लेते हैं न ?"
" हैँ...हाँ कल देखूँगी उसे !"
विजय-( घड़ी देखते हुए ) अच्छा अंजलि अब हमारा नेक्स्ट पीरीयड है लगता नहीं आज कोई आएगा दोनों में से !"
राज- पीरीयड टाईम हो गया ? सॉरी अंजलि हम चलेंगे क्लास में !"
"ओके, आपकी क्लास है ? मैं भी चलती हूँ, आज मेरा मन नहीं है, मैं घर जाती हूँ !"
"अच्छा बाय !"
"हाँ, एक बात ! कल अगर सोनू आये तो मुझसे मिलने स्पोर्ट्स हॉल में भेजना उसे !"
"ओके !"
"ओके बाय !"
( दोनों को बाय कहकर अपनी स्कूटी की तरफ जाती है और फिर चली जाती है )
( राज और विजय क्लास की ओर जाते हुए )
"यार विजय तुझे अंजलि को देखकर नहीं लगता कि कल सोनू की खैर नहीं।"
(क्रमश:)