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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Inspirational

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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

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अंधविश्वास

अंधविश्वास

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कभी-कभी अंधविश्वास की ऐसी पराकाष्ठा देखने को मिलती है कि बाद में पछतावा छोड़ कुछ हाथ नहीं लगता है । प्रमिला की शादी हुए 7-8 वर्ष हो गए थे पति-पत्नी दोनों में कुछ कमी न होते हुए भी कोई संतान न होने से सभी बहुत परेशान व दुखी थे ।


प्रमिला की छोटी बहन अनुभा थी, इधर प्रमिला के पति अभय के एक छोटा भाई अमन था । प्रमिला के सास ससुर दोनो ने प्रमिला के माता-पिता से सलाह मशविरा कर उसकी छोटी बहन की शादी अपने छोटे बेटे से करवा दी । साथ ही उन्होंने आपस में बातचीत की कि दोनों की रजामंदी से पहली संतान को बड़ी बहन प्रमिला को गोद दे देंगे । 


अनुभा उसकी सगी बहन थी इसलिए वह राजी हो गई शादी होने के बाद वादे के अनुसार अमन ने पहली संतान बेटी को तुरंत अपनी भाभी को गोद दे दिया । घर में बहुत दिनों बाद बच्चे की किलकारी गूंजी थी। सभी प्रिया बेटी को हाथों हाथ रखते उसे बहुत प्यार करते । प्रमिला भी उससे बहुत ही प्रेम करती थी। प्रिया प्रमिला को ही माँ पुकारती अनुभा को मासी ।


प्रिया लगभग 4 वर्ष की हो गयी उसकी बहन अनुभा पुनः गर्भवती हुई और उसके एक बेटा हुआ । घर में सभी बहुत खुश थे । भाई बहन का जोड़ा बन गया था। प्रिया भी अनय के साथ खेलती और अनुभा के पास रहने की जिद करती । 

इधर प्रमिला कुछ दिनों से अंदर ही अंदर उदास रहती कोई कुछ पूछता तो कहती सब ठीक है ।अंदर क्या चल रहा था पता ही न लगता । एक दिन अचानक 6 वर्ष की प्रिया का कहीं पता नहीं था । अनुभा का रो-रोकर बुरा हाल था । न मिलने पर पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई गयी । तभी दूसरे दिन मासूम प्रिया की लाश नहर के किनारे मिली, जो मिट्टी मे दबी थी कुत्ते निकाल रहे थे । जब पुलिस ने मामले की छानबीन की तो सारी कहानी निकल कर आई ।


एक दिन उनके गांव में एक साधु आया जो नदी के उस पार श्मशान में डेरा डाले था । गाँव की ही एक औरत ने कहा प्रमिला अपना बच्चा अपना ही होता है क्या तू अपनी बहन की बेटी को दिन रात सीने से लगाए रखती है । फिर यह तो लड़की है एक दिन ससुराल चली जाएगी तुम खाली हाथ हो जाओगी । एक बहुत ही पहुंचे हुए महात्मा आए हैं तुम्हारी गोद जरूर भर देंगे । प्रमिला पहले अभय से महात्मा जी के पास चलने को बोली । उसने कहा, "घर में दो बच्चे है दोनों अपने ही हैं "बात आई-गई हो गयी। 


प्रमिला एक दिन अवसर पा उसी औरत के साथ बाबा के पास गई । प्रमिला से ढोंगी धूर्त बाबा बोला, "बेटी तेरे पहली संतान बेटा होने का योग है पर एक शर्त है , इसके लिए एक 10 वर्ष से छोटी कन्या की बलि देनी होगी । प्रमिला बेटे की चाह में इतनी अंधी हो गई थी कि उसने एक बार भी अपनी बहन की मासूम बेटी प्रिया के लिए नहीं सोचा और जाकर के उस बाबा को 6 साल की बच्ची को सौंप आई बाबा ने वहीं श्मशान में बच्ची के साथ दुष्कर्म कर बलि दे दिया ।


प्रमिला के संतान तो नहीं हुई पर इस बात का रहस्य खुलने पर हवालात अवश्य मिली । बेटी की लाश मिलने पर प्रमिला के देवर ,बहन ,सास-ससुर, माँ-बाप सभी ने उससे नाता तोड़ लिया। पति ने तो यहां तक कह दिया कि जो स्त्री किसी दूसरे की संतान के प्रति मोह ममता ना रखे ,तभी तुझमें कोई कमी न होते हुए भी , ईश्वर ने शायद इसी से तुम्हें मातृत्व सुख से ही वंचित रखा था ।


ऐसी अनेकानेक घटनायें हमारे आस-पास देखने- सुनने को मिलती रहती हैं आज के शिक्षित समाज में भी अंधविश्वास अपनी जड़ अनेक रूपों में जमाये है ।

  


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