दूसरी मां
दूसरी मां
"गुड इवनिंग मैंम" रितु ने चौंककर पीछे मुड़कर देखा तो रूपाली खड़ी थी,,"अरे बेटा तुम,,कैसी हो? बहुत दिनों से मिलना चाह रही थी " रितु वाकई उसे देखकर बहुत खुश थी ।रुपाली उसके पहले बैच की प्रिय स्टूडेंट थी,,सुंदर सी इस समय भी बहुत सुंदर लग रही थी,,नीली डेनिम की जीन्स पर सुर्ख डॉट का टॉप बहुत फब रहा था,,,अतिशय घुंघराले भूरे बालों की पोनी बना रखी थी,,मांग के बीच के बीच में दमकता सिंदूर और मध्यम आकार की बिंदी पूर्वी और पश्चिमी सभ्यता का अनोखा संगम लग रहे थे। कंधे पर टंगा हुआ हैंडबैग और उंगली पकड़े कंफ्यूज सा चार साल का बेटा उसके विवाहित होने की सूचना दे रहे थे,,,,पहले से अधिक हँसमुंख और चुलबुली हो गई थी रुपाली ,,उसी ने प्रस्ताव दिया "आइए मैंम यहाँ की कुल्फी बहुत मशहूर है,,थोड़ी देर बातें भी हो जाएंगी।"वह मना नही कर सकी और दोनों बैठ गईं,,सन 2001 में जब वह मात्र 23 साल की थी तब उसे क्लास 10C की क्लास टीचर बनाया गया था,,उसमें रुपाली और विशाल दो भाई बहन भी थे विशाल सिर्फ डेढ़ वर्ष बड़ा था रुपाली से लेकिन क्लास एक ही थी।
"कैसी हैं मैंम आप"उसने पूछा तो रितु ने स्वाभाविक सा उत्तर दिया "बढ़िया हूँ,तुम बताओ कौन कौन है घर पर?"
रुपाली ने थोड़ा शरमाते हुए कहा "ससुराल में सभी हैं मम्मी,,पापा एक भैया और हम तीनों हमारी जॉइंट फैमली है,,पर सभी बड़े खुले स्वभाव के हैं" हिम्मत करके गला खंखार कर उसने पूछ लिया "और मायके में बेटा?" रुपाली ने बिंदास अंदाज़ में जवाब दिया "मम्मा ,,पापा,, विशाल की वाइफ़ रूबी और आदित्य "आदित्य रुपाली का छोटा भाई था जब वह हाई स्कूल में थी तब वह चौथी क्लास में था। अब रितु बहुत बुरी तरह चौंकी। ऐसा नही है कि दसवीं के बाद वह रुपाली से पहली बार मिल रही थी,,अक्सर उससे साल में एकाध बार मुलाकात हो जाती क्योंकि शहर एक ही था,,इन्ही मुलाकातों में उसे पता चला कि उसने अपनी पसंद के लड़के से विवाह कर लिया,है,,लेकिन जबसे रुपाली का नंबर सेव् किया है तबसे बहुत परेशान रहती है,,क्योंकि कभी वह स्टेटस पर डालती "दुनिया की सबसे प्यारी माँ"
कभी मदर्स डे पर "माँ तुम मेरा संसार हो"औऱ इन सभी के पीछे एक सौम्य सी 45 या 50 वर्ष की एक महिला की फोटो होती। दो दिन पहले उसने मन्दिर में अपने पिता के साथ खड़ी उसी तस्वीर के लिये लिखा था "आप दोनों की जोड़ी बनी रहे,,मम्मा पापा"
एक बार रुपाली की फेसबुक प्रोफाइल में उसने उस चेहरे को तलाशा भी था,,संयोग से प्रोफाइल लॉक नही थी,,,,,,रुपाली के सबसे छोटे भाई के साथ अनगिनत फोटुएं,,"मेरा लाल"कैप्शन के साथ।
अधिकतर चित्रों में रुपाली के बेटे को गोद मे लिये हुए,,"नाती और नानी साथ साथ"के कैप्शन के साथ।और विशाल की शादी की फोटुएं,,जिनमें सारी रस्मों का वे निर्वाह कर रही थीं।
रितु की आंखों में में 2001 का नवंबर का महीना कौंध गया जब वह दीपावली की छुट्टियों के बाद स्कूल गई थी ,,उन दिनों रुपाली करीब महीने भर से अनुपस्थित थी। उसकी माँ बीमार थीं।उस दिन वह आयी थी और उससे लिपटकर बहुत रोई थी,,क्योंकि कैंसर से माँ की मृत्यु हो चुकी थी। जितना वह उसे इस दुख से बाहर निकलने का प्रयास करती उतना ही डूबती जाती,,छोटा भाई आदित्य सदमे में चला गया था,,और पिता बेचारे तीन बच्चों की जिम्मेदारी सम्भालते या खुद को सम्भालते।एक बार मीटिंग में वह रुपाली की माँ से मिली भी थी,,घुंघराले भूरे बाल,, अच्छी लंबाई और गोरा रंग ,लेकिन चेहरा बीमारी से क्लान्त था। बच्चों के लिये परेशान थीं,,उस समय तक उसे बीमारी की गम्भीरता नही पता थी लेकिन,आश्वस्त कर दिया था।
"मैंम पापा ने शादी कर ली है माँ के जाने के दो साल बाद" रुपाली ने,,उसके आश्चर्य को समझ कर सामान्य भाव से उत्तर दिया। "ओह" उसके मुँह से अनायास ठंडा स्वर निकला । उसका भाव समझकर किलक कर वह बोली "मम्मा बहुत अच्छी हैं मैंम,,मेरा बेटा वही पाल रही हैं,,मैं तो जॉब कर रही हूँ दिन भर नन्ना के पास रहना है इसे। आदित्य को इन्होंने ही डिप्रेशन से निकाला है,,और रूबी भाभी को इतना प्यार दिया है कि वो इन्हें छोड़कर कहीं जाना ही नही चाहती हैं।। हॉल के बीच में माँ की तस्वीर लगी है,,बड़ी सी लेकिन मम्मा ने उसपर माला नही पड़ने दी कि इससे न रहने का अहसास होता है।
"हाँ बेटा अब मैं समझ गई कि तुम्हारी दूसरी माँ हैं वे" रितु ने हल्के स्वर में कहा। "नही मैंम वो सिर्फ मेरी मम्मा हैं" डबडबाई आंखों से बोलती हुई रुपाली ने अपनी गुरु को ही शिक्षा दे दी कि माँ सिर्फ माँ होती है।