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प्रेरणा

प्रेरणा

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मुकुल ने देखा कि उसका बारह साल का बेटा नवीन उदास बैठा था। उसे उदास देखकर मुकुल का मन भी पीड़ा से भर गया। इतनी छोटी सी उम्र में नवीन ने बहुत बड़ा दर्द झेला था। अपनी बीमारी के कारण वह चलने फिरने में असमर्थ हो गया था। एक बच्चे के लिए जिसकी उम्र हंसने खेलने की थी व्हीलचेयर पर बैठने को मजबूर हो गया था। पिता होने के नाते मुकुल के लिए यह सह पाना मुश्किल था। 

मुकुल अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता था कि नवीन को फिर से जीने के लिए प्रेरित किया जा सके। इसलिए वह उसके पास बैठकर समझाता रहता था। वह नवीन के पास जाकर बैठ गया।

"बेटा हरदम ऐसे उदास रहना ठीक नहीं है। खुश रहा करो।"

नवीन कुछ नहीं बोला। उसे लगता था कि अब वह जीवन में कुछ भी करने के लायक नहीं रह गया है। जब वह चल फिर ही नहीं सकता तो फिर क्या कर पाएगा। मुकुल उसे हर तरह से समझाने की कोशिश करता था। लेकिन नवीन कुछ भी नहीं समझता था। वह किसी से कुछ नहीं बोलता था। भीतर ही भीतर घुलता रहता था। मुकुल को अब याद भी नहीं था कि वह अंतिम बार कब मुस्कुराया था।

नौकर ने आकर बताया कि मुकुल के लिए एक कूरियर आया है। मुकुल ने अपने हस्ताक्षर कर पार्सल ले लिया। पार्सल उसके दोस्त ने भेजा था। उसने खोल कर देखा तो एक पुस्तक थी। साथ में एक नोट था।

'खुद भी पढ़ो और नवीन को भी पढ़ाओ'

मुकुल ने किताब देखी। उसका शीर्षक था।

लाइफ विदाउट लिमिट्स 

लेखक का नाम था।

निक वुजिसिस

मुकुल पुस्तक लेकर अपनी स्टडी में चला गया। यह आस्ट्रेलिया में जन्मे निक की आत्मकथा थी। निक बिना हाथ और पैर के जन्मा था। पर इसके बावजूद ना सिर्फ वह एक भरपूर जीवन जीता था बल्कि अन्य लोगों को अपनी शारीरिक अक्षमता को भूल कर खुशहाल जीवन जीने की प्रेरणा देता था।

पुस्तक समाप्त होने के बाद मुकुल उस किताब के साथ नवीन के पास जाकर बोला।

"तुमको लगता है कि तुम्हारे हाथ पैरों में अब पहले जैसी ताकत नहीं रही है। इसलिए तुम अब खुश नहीं रह सकते। तुमको इस तरह घुट कर ही रहना चाहिए। तो तुम गलत हो। मैं कुछ नहीं कहूँगा। यह किताब दे रहा हूँ। इसे पढ़ो और समझो। फिर बात करूँगा।"

मुकुल नवीन के हाथ में वह किताब थमा कर चला गया। पहले तो नवीन ने किताब पर ध्यान नहीं दिया। उसके बाद कुछ पन्ने पलटे।

दो घंटे के बाद उसने नवीन के कमरे में झांक कर देखा। वह किताब पढ़ रहा था। मुकुल कुछ नहीं बोला। वह उसे किताब पढ़ने और उस पर मनन करने का समय देना चाहता था। 

मुकुल ने ध्यान दिया कि नवीन अब पहले जैसा उदास नहीं दिखता था। उसके चेहरे पर अब एक उम्मीद दिखाई पड़ती थी। मुकुल को लगा कि निक की आत्मकथा नॅ कुछ असर किया है।

एक हफ्ते के बाद मुकुल नवीन के पास जाकर बोला।

"तुमने किताब पढ़ी। क्या कहना है तुम्हारा ?"

नवीन ने कहा तो कुछ नहीं पर मुस्कुरा दिया। उसकी आँखों में एक चमक थी।

मुकुल खुश था कि उसके बेटे ने एक बार फिर जीना शुरू कर दिया था।  


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