बेटे हम तुम्हारे बाप हैं और बाप तो बाप होता है
बेटे हम तुम्हारे बाप हैं और बाप तो बाप होता है
"मेहुल बेटा ,तुम अब फर्स्ट ईयर में हो। अभी से सिविल सर्विसेज की तैयारी करने लग जाओ ताकि तुम्हारी नींव मजबूत हो जाए और स्नातक पूरा करते ही तुम एग्जाम दो और एग्जाम क्लियर कर लो। ",40 वर्षीय लिपिक रमेश ने अपने 18 वर्षीय बेटे से कहा।
"आप फिर शुरू हो गए पापा। आप माँ -बाप हमेशा अपने सपने हम बच्चों पर क्यों थोपते हैं ?आपको कितनी बार बोल दिया है ;एक लिपिक का बेटा लिपिक ही बनेगा। मुझमें न तो इतना धैर्य है और न ही इतनी पढ़ाई करने की इच्छा। ",मेहुल ऐसा कहकर उठकर अपने रूम में जाने लगा।
"अरे मेहुल ,कहाँ चल दिया बेटा ?चाय तो साथ में पी ले। ",ड्राइंग रूम में चाय लेकर प्रवेश करती हुई मेहुल की मम्मी मीरा ने कहा।
"पापा के साथ बैठो तो वही एक बात, सिविल सर्विस की तैयारी कर ले। खुद ने तो की नहीं ;अब मुझे बोल रहे हैं। मुझसे नहीं होती इतनी पढ़ाई। पापा को क्या पता कितनी मेहनत लगती है। ",मेहुल बड़बड़ाते हुए निकल गया था।
"तुम उसे बता क्यों नहीं देते ?तुम तैयारी करना चाहते थे। बाऊजी की अचानक मृत्यु हो जाने से सब बदल गया था। ",मीरा ने कहा।
"इंसान की सभी ख़्वाहिशें कहाँ पूरी होती हैं। बाऊजी चाहते थे कि मैं सिविल सर्विसेज की तैयारी करूँ। लेकिन बाऊजी की असामयिक मृत्यु के कारण मुझे लिपिक की नौकरी करनी पड़ी। फिर घर की सारी जिम्मेदारियाँ पूरी करते -करते कब वक़्त रेट की तरह हाथ से फिसलता चला गया ;पता ही नहीं चला . बाऊजी की ख़्वाहिश, ख़्वाहिश ही रह गयी। फिर मेहुल हुआ तो सोचा था ;उसे तैयारी करवाऊँगा। लेकिन इस लड़के न तो लड़ने से पहले ही हथियार डाल दिए हैं। पता नहीं ;इसे तैयारी से इतना डर क्यों लगता है।अब तो यह तक कहने लग गया कि लिपिक का बेटा तो लिपिक ही बनेगा .क्या एक लिपिक का बेटा कलेक्टर नहीं बन सकता ? ",रमेश ने अपना दर्द व्यक्त किया।
"आप अपना दिल छोटा मत कीजिये। अभी बच्चा है ;समझ जाएगा। ",मीरा ने कहा।
"मीरा मैं कुछ सोच रहा हूँ। ",रमेश जी ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा।
"क्या ?",मीरा ने पूछा।
"पे सी एस की इस बार जो वेकन्सी निकली है ;उसमें आयु सीमा में ५ साल की छूट दी गयी है।और पहले से ही सरकारी नौकरी में जो होते हैं ;उनके लिए कुछ कोटा भी है। ",रमेशजी ने कहा।
"अरे;मेहुल का तो अभी कॉलेज भी पूरा नहीं हुआ। वह तो इस बार नहीं बैठ सकता। ",मीरा ने कहा।
"मैं मेहुल की नहीं ,खुद की बात कर रहा हूँ। कहकर गया है कि एक लिपिक का बेटा लिपिक ही बनेगा और तैयारी करना बहुत कठिन है। मैं यह एग्जाम दूंगा और क्लियर भी करूँगा। फिर तो मेहुल ऐसे नहीं कह पायेगा न कि आपको क्या पता तैयारी कितनी कठिन होता है। ",रमेश जी ने कहा।
"क्या ? तुम पागल हो गए हो क्या ?इस उम्र में कैसे पढ़ाई करोगे ?वह भी कम्पटीशन की। बच्चों की बातों को ऐसे दिल से नहीं लगाते। ",मीरा जी ने आश्चर्यमिश्रित आवाज़ में कहा।
"नहीं मीरा ;अपने बेटे को प्रेरणा देने के लिए मुझे खुद ही उदाहरण बनना पड़ेगा। इंसान की इच्छा शक्ति के सामने उम्र केवल एक नंबर है। अगर मेरे मन में यह विचार आया है तो इसके पीछे कोई न कोई वजह तो होगी ही। मैंने सोच लिया है फॉर्म भरूंगा और तैयारी भी करूँगा। तुम अभी मेहुल को कुछ मत बताना। "रमेश जी ने कहा।
रमेश जी ने फॉर्म भर दिया और अपनी नौकरी के साथ -साथ तैयारी भी शुरू कर दी। शुरू में उन्हें बैठकर पढ़ने में दिक्कत आयी ;लेकिन फिर उन्हें पढ़ना अच्छा लगने लगा।पे सी एस एग्जाम तीन चरणों में होता है :प्रारंभिकि ,मुख्य और साक्षात्कार। प्रथम चरण की परीक्षा से पहले रमेश जी नर्वस थे ;लेकिन अपनी तैयारी से सन्तुष्ट भी थे।
परीक्षा हाल में वह अपना सर्वश्रेष्ठ देकर आये। जब प्रारंभिकि का परिणाम आया तो रमेश जी सुखद आश्चर्य से भर उठे। उनका चयन मुख्य परीक्षा के लिए हो गया था। मीरा जी के मन में अपने पति के लिए सम्मान और गर्व बढ़ गया था। अभी तक भी उन्होंने मेहुल को कुछ नहीं बताया था।
रमेश जी मुख्य परीक्षा की तैयारी में और जोर शोर से लग गए थे। रमेश जी साक्षात्कार के लिए भी चुन लिए गए थे। मीराजी और रमेश जी ने मेहुल को रमेश जी की अभी तक की उपलब्धि के बारे में बताया।
"बेटा ,माना कि तैयारी कठिन है ;लेकिन असंभव नहीं। जब मैं इस उम्र में सिविल सर्विसेज की तैयारी करके पहले ही प्रयास में साक्षात्कार तक पहुँच सकता हूँ तो तुम भी कर सकते हो। मैं अंतिम रूप से चयनित होने के लिए पूरा प्रयास करूंगा। लेकिन अगर चयनित न हो पाऊं तो तुम कम से कम यह सोचकर ही तैयारी कर लेना कि जब एक लिपिक और उम्रदराज व्यक्ति अपनी नौकरी और परिवार की ज़िम्मेदारी निभाते हुए तैयारी कर सकता है ;तो तुम भी कर सकते हो। ",रमेश जी ने मेहुल को कहा।
मेहुल की आँखों में अपने पापा के लिए गर्व और आश्चर्य के भाव थे .
"पापा ;मुझे माफ़ कर दो। मैंने आपको गलत समझा। आप मेरे हीरो हो पापा। आप दुनिया के सबसे अच्छे पापा हो .",मेहुल ने रमेशजी के गले लगते हुए रूंधे गले से कहा।
"बेटा ;हम माँ -बाप अपने बच्चों की क्षमताओं को जानते हुए ही उनसे उम्मीदें लगाते हैं। तुम्हारे चयन से तुम्हारी ज़िन्दगी ही सुखद होगी। हमें तो बस ख़ुशी मिलेगी। मैं बहुत ही भाग्यशाली हूँ ;जिसे अपने बेटे का रोल मॉडल बनने;हीरो बनने का मौका मिला।",रमेश जी ने मुस्कुराते हुए कहा।
"पापा ;आज से ही मेरी भी तैयारी शुरू। आप मुझे गाइड करोगे न। ",मेहुल ने कहा।
"बिलकुल। ",रमेश जी ने मेहुल की पीठ थपथापते हुए जवाब दिया । मीराजी दोनों बाप बेटे को भरी हुई आँखों से देख रही थीं।