किसी के झगड़े मे मत पड़ो
किसी के झगड़े मे मत पड़ो
सीता, गीता दोनोंं सगी बहनें थी पर आपस में दोनों की नही पटती थी। उनकी माँ जानकी देवी हमेंशा परेशान रहती कि ना जाने इन छोरियों को अक्ल कब आयेगी। आठवी क्लास पूरी कर ली है दोनोंं, एक हमारा जमाना था कि इस उमर मेंं ब्याह हो जाता था। घर परिवार संभाल लेते थे। एक दिन दोनोंं मेंं किसी बात को लेकर झगड़ा होता है। उनके बगल में रहने वाली मीना जो उनकी क्लासमेंट थी। उन दोनों का झगड़ा छुड़ाने गई। दोनों उसपे ही टूट पड़ी। घर आई माँ ने पूछा मीना तुझे चोट कैसे लगी तो बताया उसने।
बेटा दो लोगो के झगड़े में पड़ना मतलब"आ बैल मुझे मार" इसलिए किसी के झगड़े में नही पड़ना चाहिए खासकर दो बहनो के बीच झगड़े में। उस दिन मीना ने माँ की बातो को गाठ बाध ली कि अब उन दोनों के झगड़े में नही पड़ूगी।
समय बितता गया दोनों बारहवी की भी पढाई पूरी कर ली पर लड़ाई जैसी कि वैसी रही। "मीना भी अब उन दोनों से दूरी ही बनाई रहती थी।" पर दोनों बहनो को एक ही लड़का पसंद आया पप्पू, जो उनकी क्लास में पढता था। दोनों ने उसके लिए भी झगड़ा किया और चल दी पप्पू से पूछने कि तुम किससे प्यार करते हो ? जब पप्पू ने बताया कि उसे मीना पसंद है।
पप्पू सुनाने लगा तुम दोनों जैसी लड़की को कौन पसंद करेगा एक नंबर की झगड़ा करने वाली हो किसी की इज्जत तक नही करती,और ना ही अपने आगे किसी को कुछ समझती हो। तुम दोनों के झगड़े में जो पड़ जाय। तुम दोनों उसी को पीट देती हो।बहुत कुछ सुनाया पप्पू ने
आज तक किसी ने उनको खुद से इस तरह अवगत नही कराया था? आज उन्हे अपनी गलती का एहसास होता है।उस दिन के बाद उनके अंदर एक बदलाव दिखा अब वह पहले जैसी नही रही। ना ही वह झगड़ती थी।माँ भी उन दोनों के अंदर बदलाव देखकर खुश थी।
आज दोनों की शादी हो चुकी है दोनों ने बड़े अच्छे से घर संभाला है।अब दोनों बहने आपस में प्यार से मिलती है।