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अंदर की आवाज़.

अंदर की आवाज़.

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कहते है की हमारे अंदर की आवाज़ हमें बहुत कुछ बताती है सिर्फ हमें समझना पड़ता है।

अंदर की आवाज़ और कुछ नहीं हमारे दिल की आवाज़ होती है जो हमें सही और गलत चीजों की समझ कराती है। अंदर की गहराई में अगर हम झुककर देखेगे तब बहुत सी परेशानियों का हल अपने आप मिल जाएगा, हमारी अदंर की आवाज़ होती है जो हमारी मदद करती है, जिसकी वजह से हमें कब क्या करना चाहिए और क्या नहीं, यह समझने में मदद होती है। हालांकि यह बात भी उतनी सच है कि आजकल के इस बदलते दौर में क्या सही और गलत जानकर भी हम अनजान बनकर जीना पसंद करते हैं, बाद में इसका परिणाम बहुत भयंकर भी हो सकता है।

सरिता अपने माता-पिता जी के साथ मजे में रहती है, वह घर में इकलोती लड़की थी इसलिए घर में सब की लाडली थी। इनका बड़ा परिवार था, सब एक साथ मिलकर रहते थे, समय बीत रहा था, सबकी सोच बदल रही थी। धीरे धीरे मतभेद होना शुरू हो गए। आपसी मन मुटाव बढ़ने लगा इसलिए सरिता के माता-पिता ने तय किया कि कहीं और जाकर रहें।गे उन्होंने वह घर खुशी खुशी छोड़ दिया और शहर जाकर रहने लगे। सरिता के पिताजी ने अपनी बदली शहर में करवा दी और वहीं जाकर परिवार के साथ रहने लगे।

परंतु घर से निकलने के बाद हमेशा उनका मन हमेशा खाता रहता था दुनिया का दस्तूर ही है आखिर घर से बिछड़कर कौन खुश रहा है ? एक अलग ही चिंता सरिता की माता जी को रहती थी। वह हमेशा भगवान का जप करती रहती थी। उनके ऑफिस में सब कुशल मंगल था परंतु उनके परिवार जैसे धीरे धीरे बिखर रहा था। कर्ज की वजह से बैंक घर पर कई बार आ चुकी थी। उनके लिए पैसे भरना मुशक़िल होता जा रहा था। किसी ने भी इसके बारे में नहीं बताया पर उसकी माँ हमेशा चिंतित रहती थी। जैसे तेसे सरिता की मां को इसके बारे में पता चल गया उनके मायके वालों ने बताया।

उन्होंने तुरंत मिलकर पैसे लाए और अगले दिन गांव जाकर बैंक में पैसे भर दिए। जो कुछ भी पैसे देने थे सब के दे डाले। परिवार वालों को बहुत पछतावा हुआ उनके स्वभाव का, पर उनकी अंदर की आवाज़ उने बार बार इशारा दे रही थी परंतु आखिर कार सब कुछ ठीक हो ही गया।

कभी कभी दिल की बात भी सुन लेनी चाहिए, अंत मे सब ठीक हो जाता है।


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