STORYMIRROR

Madhu Vashishta

Inspirational

4  

Madhu Vashishta

Inspirational

सत्कर्म

सत्कर्म

1 min
309

किस्मत के खेल अजीब।

अपने दूर चले जाएं और अनजाने आ जाएं करीब।

किस्मत के हाथ में ही है सारा लेखा-जोखा।

वही तुम्हें मिलेगा जो तुम्हारी किस्मत में लिखा होगा।

माना भाई तुम्हारी बात में सच्चाई है।

लेकिन केवल किस्मत के ही भरोसे रहने में कहां भलाई है?

कर्म तुम्हें तो करना होगा, और कर्म का फल भी मिलना होगा।

किस्मत तुम्हारे पाप कर्मों को सत कर्मों में तो बदल सकती नहीं।

छू रहे हो अग्नि, तो लाख अच्छी हो किस्मत,

तपन की जगह ठंडक तो दे सकती नहीं।

कर्म करके अग्नि जलाकर ठंड में ताप तुम ले सकते हो।

मूर्खों के जैसे सिर्फ किस्मत के भरोसे रहकर तुम जीवन में कुछ भी नहीं पा सकते हो।

किस्मत और कर्म दो चाबियां है सफलता के ताले की।

दोनों की बराबर ही अहमियत समझनी होगी यदि तुम्हारी इच्छा है सफलता पाने की।

सत्कर्म करते रहना , शिव जी की शरण में रहना।

सुख और दुख दोनों उनको कर दो अर्पण

तो जीवन में परोपकार करते हुए तुम तो मस्त ही रहना।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational