कविता: युवा जोश
कविता: युवा जोश
तुम अकेले नहीं
सूरज सा चमको
बादल सा गरजो
लहरे बनके तट लांघो
समय को पीछे पछाड़ दो
लेकिन बुराई न करो कोई
ये सोचकर चलो, रास्ता सुगम
नहीं।
फिर भी मंजिल पे पहुंच ना
मुश्किल नहीं
तुम अकेले नहीं
हर पल, हर घड़ी
कोई अदृश्य शक्ति
है साथ तुम्हारी।
माता, पिता का आशीर्वाद भी जरूरी।
ये मत भूलना जोश कभी न बने कमजोरी।