फिल्म ऐसी जो दिल को छू जाए
फिल्म ऐसी जो दिल को छू जाए
फिल्म ऐसी जो दिल को छू जाए,
व्यथा दर्दे-ए-दिल की दवा हो जाए,
रात अमावस पर चहुँ ओर दीप जले,
घना अंधेरा मन का फिर मिट जाए,
बदल रहा समाज बदलो फिल्मों को,
फिल्म ऐसी जो दिल को छू जाएI
फिल्म ऐसी जो संस्कारों से परिपूर्ण हो,
आज के युवा वर्ग को प्रभावित कर जाए,
गीतों में अर्थ हो वाक् में हो मूल वाणी,
जिससे छंद भी मकरंद हो जाए,
बदल रहा समाज बदलो फिल्मों को,
फिल्म ऐसी जो दिल को छू जाएI
कभी हंसाकर तो कभी रुलाकर,
दूर हुए परिवार को भी एक वो कर जाए,
कोई राग, कोई गीत ऐसा निकले,
जिससे दिल बाग- बाग हो जाए,
बदल रहा समाज बदलो फिल्मों को,
फिल्म ऐसी जो दिल को छू जाएI
हास्य हो व्यंग हो फिल्मों में,
जो हमारे हर गम को निगल जाए,
किसी के मन में जो भी भेदभाव हो,
भावनाओं से हृदय की व्यथा बह जाए,
बदल रहा समाज बदलो फिल्मों को,
फिल्म ऐसी जो दिल को छू जाएI
देश के वीर और धीर हो,
प्यार अपने राष्ट्र से फिर हो जाए,
प्रकृति को मन से जोड़ दें,
दृश्य ऐसा कुछ दिख जाए,
बदल रहा समाज बदलो फिल्मों को,
फिल्म ऐसी जो दिल को छू जाएI
कहीं दिखाओ मान अभिमान की बातें,
कहीं मिट्टी से मानव जुड़ जाए,
मिठास वस्तु नहीं सबकी जुबान में हो,
ऐसी मिठास सबके दिल में घुल जाए,
बदल रहा समाज बदलो फिल्मों को,
फिल्म ऐसी जो दिल को छू जाएI
कहीं ह्रदय की कोमलता, कहीं पत्थर सा कठोर,
जिसे देख संस्कारों की जलधारा सी बह जाए,
जो भूल गए हैं अपनों को,
फिल्म देख अपने रिश्तो में फिर जुड़ जाएं,
बदल रहा समाज बदलो फिल्मों को,
फिल्म ऐसी जो दिल को छू जाए।
