आमीन
आमीन
कितना प्यासा कौन मुसाफिर
किसने मौत गले तक देखी
किस-किसने तलवे रगडे़
मुझको है मालूम ये सूरत।
मैं तो तपती रेत का कुआँ
खुश्क-लबी का किस्सा कह दूँ ?
मरते दम की तड़प बता दूँ ?
सहमाहट की खा़ल दिखा दूँ ?
वहशत की तस्वीर बना दूँ ?
कौन कहाँ तक ज़ब्त का मारा
कौन यहाँ पर जीता हारा
मेरे अंदर सदियाँ प्यासी
मेरे बाहर दुनिया प्यासी।
पानी-पानी अजब नजा़रा
चाँदनी देती चाँद उतारा
मौत देखकर अल्लाह प्यारा
प्यास ने शाहे-वक्त़ को मारा।
जब भी अपने घर से निकलो
दुआ करो और दर से निकलो।।