मर्यादा पुरुषोत्तम
मर्यादा पुरुषोत्तम
हे मर्यादा पुरुषोत्तम सुन लो
इस धरती की करुण पुकार ।
हाथ जोड़ हम करे प्रार्थना
मचा हुआ है हाहाकार ।
अपनी सीता की खातिर
उस युग में रावण मारा था ।
आज धरा पर घूम रहे हैं
लाखों रावण मारीच हजार ।
रावण ने रावण होकर भी
मर्यादा का मान रखा ।
सीता सीता माना और
तिनके का भी मान रखा ।
किन्तु आज के रावण को
क्या रोक सके लक्ष्मण रेखा ।
आज धरा की हर सीता की
सुन लो राजा राम पुकार ।
एक बार फिर आ धरती पर
कर दो राम राज्य विस्तार ।।