बस इतनी सी बात है
बस इतनी सी बात है
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इतना आसान नहीं है,
दिल की बातो को,
काग़ज़ के पन्नो पर लिखना,
मन के हर ज़ख़्म, हर पलों को
याद करना,
कभी एहसास होता है,
पर शब्द नहीं मिलते,
और जब शब्द रहते है,
तब ह्रदय की बात उकेरने की,
चाहत नहीं होती,
नहीं होता,
अश्कों की धारा को रोक पाना
नहीं हो पाता,
किसी ऐसे दर्द को महसूस करना,
जो हमारा है नहीं,
फिर भी ज़ख़्म हम पे ही है,
इस दिमाग और दिल के बीच,
ऐसी जंग छिड़ी रहती है,
मुश्किल हो जाता है,
की लिखना क्या चाहते हैं,
और लिख क्या लेते है,
हर किसी में इतनी ताकत नहीं,
जो अपने उस एहसास को,
स्याही से लिख सके,
इतना भी आसान नहीं है,
मन की बातो को कुरेदना
और तुम कहते हो,
बस इतनी सी बात है ?