बसंत ॠत
बसंत ॠत
जिन्दगी में आस हो जब प्यार की ,
पतझड़ के बाद आस हो बहारों की,
चाँद सा चेहरा का आगमन हो तब,
इन्तजार की घडियां लगती मास की।
मधुमास छाता है बहारों में फ़िजाओ मे,
याद बहुत आती है मेरे प्यार की.....
वक्त काटे नहीं कटता है इन्तजार में,
पत्ते, फ़ूल, झूमती डालिया बहार की।
आम्र मंजरियो से झूमती हवाओं का रुख,
प्रीत का मौसम साँसे चलती रफ्तार सी,
अधरों पर रहती मधुमास की मधुरता,
अलि का गुंजन याद दिलाती दिलदार की ।
करार ए दिल आता ही नहीं मुझे सनम,
इस दिल में मूरत रहती है सिर्फ मेरे यार की,
मधुमास है सुन्दर तुझे लफ्ज़ो में पिरोऊ मैं,
एक आँख में है अश्क दूसरी दिखे ख्वाब सी।
