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Meenakshi Kilawat

Abstract

4.0  

Meenakshi Kilawat

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गणपती

गणपती

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हे गणपती हे गणराजा

अपार है तुम्हारी महिमा,हे गणपती हे गणराजा

ब्रह्मांड के सूर्य चंद्रमा भी गाये तुम्हारी महिमा

तुम ही ब्रह्म हो तुम यश कीर्ति, महिमा है जग में

निराली

अक्षरों में होता स्पर्श तुम्हारा, रूप है ज्ञानमय मौली!

भक्त जाए ना दर से खाली, ज्ञान भक्ति दे दो महाज्ञानी!


तुम्हारी पूजा करे है भक्त, हे गजानन विघ्नहर्ता दानी

मूषक वाहन सीन्दुर वदना, तुम ही जगत के स्वामी

कृपा करो जन-जन पर तुम, तुम ही हो अंतर्यामी

कार्य आरंभ करें तो प्रथम तुम्हारी पूजा होती

शिव पार्वती के पुत्र हो रिद्धि सिद्धि के अधिपती


देवाधिदेव गणपति गणनायक कष्ट हरो गजगामी!

शब्दों को नवरूप देकर श्रद्धा, गीतों में महक आ जाती

मनुजता को आस तुम्हारी, चेतन भाव का मानस मोती

परम विद्या से भरते गागर, सब करते हैं तुम्हें नमामी !!



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