Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Kashish Verma

Tragedy

4.7  

Kashish Verma

Tragedy

पशु की व्यथा

पशु की व्यथा

1 min
1.5K


ओ भाया !

तूने तो खूब अच्छा मेरा साथ निभाया।

मैंने तो तुझे अपना मित्र बनाया,

पर तूने तो समझा मुझे पशु पराया।

तुझे तो बस भायी मेरी काया,

जिसका तूने सदैव भरपूर लाभ उठाया।


अपना प्रेम दिखाकर

खूब अच्छा तूने मुझे बहलाया,

और धीरे-धीरे अपने लालच के जाल में

मुझको फँसाया।


कभी गर्मी में मुझसे अपना खेत जुतवाया,

और कभी मेरी खाल नोच तूने मुझे खाया।

कभी मेरी सुंदरता को आकर्षण का केंद्र बनाया,

कैद कर दिया चारदीवारी में और खूब धन कमाया।


हाथी के दाँतों को छीन, तूने उसे अपना वाहन बनाया,

और कई जीवों की खाल का पहनावा ओढ़ तू इतराया।

और उससे भी मन न भरा तो तूने अपना हथियार उठाया,

छीन लिया मेरा अस्तित्व और तू महान कहलाया।


तेरी गुलामी करते करते मैंने तो अपना जीवन गँवाया,

पर याद रखना दोस्त यह सब केवल है ईश्वर की माया।

और बस एक बार खुद को मेरी जगह रखो भाया,

मैं जानता हूँ, यह सोचते हुए भी तेरा तन कँपकँपाया।

और मेरी इस व्यथा को तू स्वयं न सह पाया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy