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Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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संविधान

संविधान

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नई इबारत लिखी गई।

 गणतंत्र की चाह में।

 संविधान का विधान बना।

 भारत की राह में।


 सार्थकता का चोला पहन।

 हुआ इस पर अध्ययन गहन  

  लचीला इसका विधान बना।   

  विश्व का विस्तृत संविधान बना।


चाहे परिस्थितियां प्रतिकूल थी। 

 प्रखर बुद्धि की सूझबूझ थी।

 देश के हालात थे नाजुक भले।  

 आत्मविश्वास में नहीं कोई टूट थी।


मंथन हुआ जोरदार।

 संविधान बना धारदार।

 संशोधन हुए बारबार।

  सार्थकता रही आरपार।


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