प्रयास का पंछी
प्रयास का पंछी
वो सोचती थी
कि परिचय उसका
बस इतना ही है,
वो उनकी बेटी है,
इनकी पत्नी है,
और उसकी माँ है !
वो सोचती थी,
कि झाड़ू से बुहार देगी
अपनी अभिलाषाएँ,
कपड़ों के साथ धो डालेगी,
सफेदपोशों के काले मन
आलू प्याज़ की तरह,
छाँट लेगी, अपना सुख !
वो सोचती थी,
सिलाई मशीन से सिल देगी
बक बक करने वालों के मुँह
और इंच टेप से नाप लेगी
संयुक्त कुटुंब में,
परस्पर कद बढ़ाती
ईर्ष्या की लंबाई !
वो सोचती थी,
बटन की तरह टाँक लेगी,
अनंत मौन प्रतीक्षा
बर्तनों की खटपट में
ढूँढ़ लेगी, मधुर संगीत
और गुनगुनाते हुए ,
बिता देगी यह जीवन !
एक रोज़,चाय की तरह
खौल गई सहनशक्ति !
उसने भी ली
एक फुर्सत की चुस्की
अधखुली खिड़की से
थोड़ी सी रोशनी,
सके लिए बच गई
कल्पना उसकी
कुछ नया रच गई।
उलझनों के पिंजरे से आज़ाद हुए,
इस प्रयास के पंछी का,
इतना साथ आप देना ....
वो गाए, तो संग आलाप लेना !
वो नाचे, तो ताली की थाप देना !
वो लिखे, तो बेझिझक छाप देना !