ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रेम की मुश्किल डगर चलना सिखाया आपने
जिंदगी में प्यार का दीपक जलाया आपने
भूलना चाहा मगर याद थी आती ही रही
रात भर सुलगा, बिचारा दिल जलाया आपने
खो रही थी होश गुम थे ज़िन्दगी बेज़ार थी
साथ देकर प्यार से जीना सिखाया आपने
है ह्रदय में वास मेरे मैं करूँ आराधना
मन मरुस्थल प्रेम का अंकुर उगाया आपने
बालपन में जी रही सोई रही सी मैं कली
सींचकर मधु नेह फूलों सा खिलाया आपने
राज अपने सब बताए कुछ रहा बाकी नहीं
क्यों मगर छोड़ा मुझे कहकर पराया आपने
ये हवा ये फूल खुश्बू जानते है बात सब
प्यार है दिल में बसा ये आजमाया आपने
सांझ मेरी बीतती है नाम ले ले आपका
पर कभी क्या प्यार से हमको बुलाया आपने
अनछुई सी तान दिल की भाव भी सब शांत थे
बज उठी मन बांसुरी क्या गीत गाया आपने
प्रियतम हो 'श्रेष्ठ'तम हो हर जनम का सार हो..
प्रेम नश्वर प्रेम ईश्वर है सिखाया आपने....