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Anubhav Nagaich

Abstract

4.8  

Anubhav Nagaich

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जीवन की खोज

जीवन की खोज

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ढूंढ़ रहे क्या ढूंढ़ रहे हो,

पता है या वो भी ढूंढ़ रहे हो ?

सारी दुनिया झूम रहे हो,

पता भी है क्या ढूंढ़ रहे हो ?


एक मकसद को पूरा कर

अगले मकसद पर भी जाना है,

ज़िन्दगी एक संघर्ष है लेकिन

तुमको ना रोना है, ना झुकना है,

ना थमना है, ना थकना है,

बस घिसते घिसते बढ़ना है।


मिला हुआ जो चाहिए नहीं है,

पूरा नहीं है,

नहीं मिला वो दिखता नहीं है,

मिलना भी नहीं है।


कभी लगता जैसे मिल गया

बरसों से जिसको खोज रहा था,

दिखता बर्तन खाली है,

ढक्कन से जिसको कस रहा था।


जिसके लिए भटक रहा था

उसका कहीं कोई पता नहीं है,

मज़ा ले रहा इस खोज का,

अब मिलकर के भी थमना नहीं है।


नहीं मिलेगा कहीं नहीं मिलेगा,

सारा ढूंढो कहीं नहीं मिलेगा।

नहीं मिलेगा कहीं नहीं मिलेगा,

जहां तुम हो बस वही मिलेगा।


देखे मुक्ति के सपने जबसे

तबसे छूट गए थे जो अपने।

कहते थे रहेंगे साथ चाहे दिन हो या रात,

न छोड़ेंगे तेरा हाथ, न आने देंगे कोई आंच

कहाँ है वो लोग,

कहाँ है वो बात,

भूल गए वादे जब आ गयी वो रात।


ढूंढ रहा जो दे सच्चा साथ,

पूछें मेरा का हाल,

जो सुने सारी बात, जो माने सारी बात,

खोज लो उसको, जकड़


लो उसको,

घोट दो उसका दम,

लो भाग गया वो।

घूम रहा है अधूरा अधूरा,

ढूंढ रहा है पूरा पूरा।


नहीं मिलेगा कहीं नहीं मिलेगा,

सारा जहां ढूंढो कहीं नहीं मिलेगा।

नहीं मिलेगा कहीं नहीं मिलेगा,

जहां तुम हो बस वही मिलेगा।


बड़ा हुआ कुछ सपने लेके

देखे थेे जो सोते सोते।

एक होगी बड़ी गाड़ी,

साथ होगी सुंदर नारी, एक होगा बड़ा घर,

पार्टी चले रातभर,


पहाड़ों में जाके उड़ा जैसे धुआँ,

बुझा दे मन की प्यास,

कोई दिखादो ऐसा कुआं।

क्या चाहिए कुछ पता नहीं,

साथ चाहिए ऐसा लगता नहीं,

सुकून चाहिए वो मिलना नहीं,

शांत मन अब होता नहीं।


ढूंढ़ रहे क्या ढूंढ़ रहे हो,

पता है या वो भी ढूंढ़ रहे हो ?

सारी दुनिया झूम रहे हो,

पता भी है क्या ढूंढ़ रहे हो ?


नहीं मिलेगा कहीं नहीं मिलेगा,

सारा जहां ढूंढों कहीं नहीं मिलेगा।

नहीं मिलेगा कहीं नहीं मिलेगा,

जहां तुम हो बस वही मिलेगा।


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