नारी हूँ नारी मैं (भाग 2)
नारी हूँ नारी मैं (भाग 2)
नारी हूँ नारी मैं
किस्मत की मारी नहीं
नाम इतने मेरे
पर पहचान कहाँ
खोया हुआ चाँद है
सर पर आसमान कहाँ।
बीता वो पतझड़
मैं बसंत बन ख़िल आई हूँ
रूबरू रोशनी नई
आज़ ख़ुद चाँद बन
बादलों को चीर निकल आई हूँ।
जिस से है रोशन तेरी दुनिया
वही रश्मि हूँ मैं
नारी हूँ नारी मैं
किस्मत की मारी नहीं।
दर्द का समंदर था सीने में
आज़ उमीदों की लहरों पर हो सवार
यक़ीन है
ख़ुशियों का किनारा ढूँढ़ ही लूँगी।
मधुर मुस्कान बन हर लब पर सज़ जाऊँगी
बहाए लाखों आँसू अब मोतियाँ बरसाऊँगी
जिस नैया पर तू हो चला सवार
उसकी माझी हूँ मैं
नारी हूँ नारी मैं
किस्मत की मारी नहीं।
मर मर के जीने पर
मुश्किल से आया जीने का सलिखा अब
अब एक साँस
आत्मविश्वास की है काफ़ी
फ़िर से खोया हौसला जगाने में।
जागरूक हुआ जहाँ,
आज फ़िर जागी हूँ मैं
सारी ज़ंजीरो को तोड़
उड़ान लम्बी भरने निकली हूँ मैं।
जिसकी सूखी धरती को भी है इंतज़ार
वही सावन हूँ मैं
नारी हूँ नारी मैं
किस्मत की मारी नहीं।
है आकाश से ऊँची मेरी उड़ान
टूटे पंख़ो से ही नाप लिया सारा आसमान
अनंत गगन में
सूरज की पहली किरण में
छोड़ आई अपने क़दमों के निशाँ।
नभ में जितने तारे नहीं
उतनी आज़ इन आँखों में चमक है
जीने की एक नई ललक़ है
जिसे करना चाहे मूठी में
क़ैद तू वो ब्रह्मांड हूँ मैं
नारी हूँ नारी मैं
किस्मत की मारी नहीं।
मेरी खुली उड़ान से
अब तो डरता है ये डर भी
जा मान लिया सब पर हक़ है तेरा
घर बार तेरा ये संसार तेरा
पर मेरे इन शब्दों के पिटारे पर
कैसे तू करेगा क़ब्ज़ा।
मोतियों से निकलेंगे
पर तूफ़ानो से दहकेंगे
शीत लहरों से उठेंगे
पर अंगारों से बरसेंगे।
मुझे क्या बदलेगा तू
मैं ख़ुद एक बदलाव हूँ
नारी हूँ नारी मैं
किस्मत की मारी नहीं।
कटी डोरी
छूटा मांझा
तो समझा औक़ाद ख़ुद की
एक अरसा लगा ये समझने में
कैसे ये सीख़ खोऊँ।
बड़ी जद्दोजहद के बाद मिली हूँ ख़ुद से
कैसे ये नाता तोड़ूँ
जिस पहचान की तुझे तलाश है
वही मुक़ाम हूँ मैं
नारी हूँ नारी मैं
किस्मत की मारी नहीं।
मैं बीता हुआ कल नहीं आज़ हूँ
नया अंदाज़ हूँ
आवाज़ हूँ आग़ाज़ हूँ
चंद शब्दों में ना हो
बयां वो अल्फ़ाज़ हूँ।
मुद्दतों से सोयी नहीं वो साज़ हूँ
जिसके बिना रूह भी तरसे वो प्यास हूँ मैं
नारी हूँ नारी मैं
किस्मत की मारी नहीं।
कैसी ये चहक है
हर तरफ़ फूलों सी महक़ है
पूरा ब्रह्मांड देखेगा ये नज़ारा
फिर हर आँगन में खिलखिलाऊँगी
धरती से जुड़ी हूँ
धरती में ही मिल जाऊँगी।
नया अवतार लिए
कल फिर उभर आऊँगी
जिसे कोई रोक ना सके
वो आने वाला कल हूँ मैं
नारी हूँ नारी मैं
किस्मत की मारी नहीं।।