तुलना
तुलना
क्यो कोसते हो, औरों को
खुद पर नजर एक डालिये।
क्या मिलेगा, कोसने से
खुद को तो, पहचानिए।
शिकायतें, औरों की छोड़
ज़रुरत को अपनी जानिए।
तरक्की की फसल, दूसरों की छोड़
ख़ुद की काबिलियत पर, ध्यान दीजिये।
मत आंकिये, कमजोर हर किसी को
ख़ुद को तुम, मज़बूत कीजिये।
मत हँसिए, दुःख दर्द पर किसी के
तकलीफ़ को तुम, उनकी जानिए।
न तोड़िये विश्वास, किसी का
खुद को इस लायक कीजिये।
मत खींचिए, बढ़ते कदम किसी के
एक सहारा, तुम खुद दीजिये।
क्यों कोसते हो,औरों को
खुद पर नजर एक डालिये।