वो अजनबी
वो अजनबी
अनजाना सा सफर
अनजान सी राहों का
अनजाना सा मुसाफिर
मिला था वो परदेसी कभी
प्रेम का धागा कच्चा सा
अहसासों की माला मे गूँधा
सच्चा मासूम सा रिश्ता
मासूम सी यादें
मन के अंतर्मन पर
चलचित्र की भांति
मन के पटल पर वो यादें
सब भर दी है इस बैग मे
देना चाहती हूँ तुम्हारी यादें
बांधा था स्नेह की डोर से कभी
वापस आने का वादा कर गया था
हर रोज आती हूँ
उसके इंतजार मे सूनी पटरी
सूनी राहों को देखती हूँ
सूनी आँखो मे है एक आस
तुम्हारे आने की
कानो मे हर पल है गूँजती
गाड़ी की सीटी की आवाज
काले काले मेघ कुछ बरसते हैं कुछ
मेरे मन के अँधेरे को
और बढ़ा देते है कर रही हूँ
इंतजार बस इंतजार
तुम्हारी यादोँ का कुछ सामान
है........ मेरे पास......।