यादें तेरे बचपन की
यादें तेरे बचपन की
एक झील मेरे मन की
बातें है तेरे बचपन की
कुछ गहरी, कुछ ठहरी सी
तेरी खट्टी मिट्ठी यादें, है लड़कपन की
काश तुम बच्चे ही रहते
मैं भी खोई रहती तेरे बचपन मे
बांध कर मेरी आँखों पर पट्टी
तुम ही तो खेला करते थे
पल भर ही सही ना देखूँ तुम्हें
नहीं गवारा करती थी
झट आँखों से खोल कर
पट्टी तुम्हे गले लगाया करती थी
तेरी खट्टी मिट्ठी यादें, हैं लड़कपन की
अब तो तुम हो गए सयाने
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अब तो तुम कर गए बेगाने
अच्छा है तुम चले गए
दीपावली की अँधेरी रात से पहले
रात के अँधेरे मे तुम डर ना जाओ कहीं
सीने पर अपने सुलाया करती थी
तेरी खट्टी मिट्ठी यादें, हैं लड़कपन की
एक झील मेरे मन की
कुछ गहरी ,कुछ ठहरी सी
याद मुझे जब आती , है तेरे बचपन की
मेरी आँखों मे आँसूओं की पट्टी
करती झिलमिल सी राह तकती सी
.हाँ देखती मैं राह तकती सी
तेरी खट्ठी मीठी यादे,हैं लड़कपन की