अमानत
अमानत
बहुत लाड़ प्यार से....
पाला था , उसको
चहकती, खनकती फुदकती
चिड़िया सी... आज छोड़ कर
चल दी वो... बेटी सबको......
बहन को विदा..... जब
उसने किया था..... माँ
पापा का दर्द....... तब
समझ ना पाया था...
उसको डोली में जाते देख
आंखों में आंसू भर
घर आंगन सब सूना सा पाया था
ख्वाहिश है मेरी लाडो
बहू बनकर .. भी
उस घर का..... मान करेगी
आएगी मेरी दहलीज पर जब
हंसती हुई मेरी मुस्कान भी
खिल जाएगी........
समाज की है रीत यही
तू अमानत है... तू पराया धन
ही कहलाएगी.....
काश ! यह रीत ना होती
तू हमारी प्रीत....
हमारी ही.... प्रीत होती।
