हे जगतजननी माँ
हे जगतजननी माँ
माँ, हम बच्चे तेरे, हम पे तू कृपा रखना
तुमसे ही परिवार अपना, तुम अपनी दया रखना
आभारी हम तुम्हारे, इस घर को बना रखना
तम दूर हो हमारा, धूप ज्ञान की खिलाये रखना
जिस धागे से बंधे हम, तेरे स्नेह-सुधा में पगा है,
बैठे हैं शांतचित्त हम, मन में आशा का दीप जला है
शत्रु भी मित्र बन गए, जादू जो तेरा चला है
माँ, तेरे प्रताप से ही दूर हमसे हर बला है
स्वस्थ रहे सदा ही, तन-मन भी अब हमारा,
छल हो हमें पराया, करे कपट भी अब किनारा
सद्-मार्ग पे चलें हम, तेरा हो जब इशारा
माँ, तुम ही तो हो हम सब का एकमात्र सहारा।